सुरक्षा का दंभ भरने वाली दिल्ली पुलिस खुद भी सुरक्षित नहीं है। बदमाशों के हौसले के आगे पुलिसवाले भी पस्त हैं। पिछले पांच सालों में रोहिणी जिला, मध्य जिला, उत्तर-पश्चिम, बाहरी और उत्तरी जिले के अलावा नवनिर्मित शाहदरा जिला, रेलवे और मेट्रो के साथ बटालियन की पुलिस भी बदमाशों के निशाने पर रही है। बदमाशों ने महिला पुलिसकर्मियों को भी नहीं बख्शा है। इसके अलावा समय-समय पर ड्यूटी के दौरान जानलेवा हमलों का होना भी आम है। साल 2014 में ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल माना राम एक तेज रफ्तार कार की चपेट में आने के बाद 150 फुट तक घसीटते चले गए और फिर अस्पताल में दम तोड़ दिया।  दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था में कहीं ढिलाई नहीं हो इसके लिए दर्जनों योजनाओं से दिल्ली पुलिस राजधानी के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने का दावा करती है। पर यह सुनने में अजीब लगता है कि करीब 80 हजार जिन पुलिसकर्मियों के भरोसे यहां के लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है वे खुद भी लूटपाट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन पुलिसवालों का सिर्फ सर्विस रिवाल्वर और पिस्तौल ही लूटा गया बल्कि एक हजार से लेकर दो लाख रुपए तक की लूटपाट भी उनके साथ हुई। सूचना के अधिकार के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता जीशान हैदर ने जब दिल्ली पुलिस से जनवरी 2012 से 30 जुलाई 2017 तक राजधानी में ड्यूटी के दौरान कितने पुलिसकर्मियों पर हमले हुए, कितने की मौत हुई और कितने पुलिसकर्मियों के साथ लूटपाट हुई। इसका सालाना ब्योरा मांगा तो पुलिस अधिकारी का जबाव चौंकाने वाला आया।

रोहिणी जिला में तैनात एएसआइ देवेंद्र, लाभ सिंह, हवलदार हरजीत, बनी सिंह, सुरेंद्र और कांस्टेबल जहां 2012 में हमलावर के शिकार हुए वहीं 2013 में हवलदार सतवीर सिंह और 2015 में कांस्टेबल उमेद सिंह इन बदमाशों से अछूते नहीं रहे। इसी तरह साल 2014 में यहीं के पुलिस वाले का मोबाइल लूटा गया, सोने की चेन झपटी गई और पांच हजार नगद व पहचान पत्र बदमाशों ने उड़ा दिए। पश्चिम जिला के नारायणा, इंद्रपुरी और मायापुरी में तैनात पुलिस वाले सबसे ज्यादा बदमाशों के निशाने पर रहे। इन तीनों थाने में घटित दस आपराधिक मामले में पुलिस अधिकारी के मोबाइल लूटने के साथ सोने की चेन और नगद लूटपाट का मामला शामिल है। बवाना के बेगमपुर थाने में तैनात महिला कांस्टेबल कविता चौहान को दो बदमाशों ने लूट का शिकार बनाया। चौहान का बैग उड़ा लिया जिसमें पांच सोने की अंगूठी, लॉकेट लगी सोने की एक चेन, सोने की बाली और मोबाइल था। वारदात रोहिणी सेक्टर-24 बस स्टैंड पर हुई थी।
मेट्रो और रेल पुलिस जवानों पर भी हुए जानलेवा हमले

पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली मेट्रो व रेल पुलिस में तैनात जवान भी बदमाशों से अछूते नहीं रहे। 2012 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तैनात सरकारी काम में बाधा डालते हुए एक हमले में एक पुलिसवाले की मौत हो गई। जबकि 2016 में इसी स्टेशन पर ड्यूटी के दौरान हमले के तीन मामले दर्ज हुए।
साल 2017 में भी स्टेशन पर एक पुलिसवाले पर जानलेवा हमला किया गया। इसी तरह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर साल 2012 में एक पुलिस से मोबाइल, पर्स, एटीएम कार्ड और दिल्ली पुलिस का उनका कार्ड लूट लिया गया। हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर दो मोबाइल, 52 सौ रुपए, एटीएम कार्ड व सीजीएचएस कार्ड और साल 2017 में नई दिल्ली स्टेशन पर तैनात एक पुलिस का सरकारी वायरलेस सेट तक लूट लिया गया।