खूफिया विभाग के कर्मचारी की कार और घर में चोरी की दो अलग-अलग हुई वारदातों के कई महीने बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है जबकि पीड़ित ने एफआइआर दर्ज कराने के साथ ही पुलिस को दोनों वारदातों की सीसीटीवी फुटेज भी सौंप दिया है। पिछले साल अक्तूबर और नवंबर में हुई इन घटनाओं के बाद भी चोर अभी तक सलाखों के बाहर हैं।

चोरी में नकदी और जेवर जाने के अलावा जो सबसे अहम है वह आइबी कर्मी का पहचान पत्र और खूफिया विभाग के कागजात हैं, जिसको लेकर परेशान कर्मचारी ने दिल्ली पुलिस के कई आला अफसरों से गुहार भी लगाई, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। देश की राजधानी में अमूमन हर सड़क पर पीसीआर वैन के साथ मुस्तैद नजर आने वाली दिल्ली पुलिस वाकई कितनी मुस्तैद है इसकी जानकारी इन दो घटनाओं से मिलती है। राजधानी के पालम विहार इलाके के राजनगर, गली नंबर 12 के मकान नंबर आरजेडएच 889 के सामने खड़ी कार से नौ नवंबर, 2015 को चोरों ने कांच तोड़ कर कार में रखा बैग चुरा लिया।

केंद्रीय खूफिया विभाग में कार्यरत इस महिला कर्मचारी की कार से चोरों ने जो सामान चुराया, उसमें महिला के अहम दस्तावेज नकदी और जेवर भी थे। कागजातों के लेकर सबसे ज्यादा परेशान इस महिला कर्मचारी ने इसकी पालम थाने में एफआइआर भी दर्ज कराई, जिसका नंबर 645 है। इसके साथ ही सीसीटीवी के फु टेज भी पुलिस को सौंप दिए, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि किस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि चूंकि वे एक वेहद संवेदनशीन विभाग में काम करती हैं इस लिए एहतियात के तौर पर खुद से घर में व घर के सामने सीसीटीवी कैमरे लगा लिए हैं। इसी में वारदातों क े फुटेज मिले। शिकायतकर्ता ने यह दावा भी किया है कि उसमें एक चोर का तो चेहरा भी साफ-साफ दिखाई पड़ रहा है। बावजूद इसके पुलिस अभी तक चोरों को पकड़ने में नाकाम रही है।

बतौर पीड़ित इस वारदात के ठीक एक महीने पहले उनके घर में भी चोरी हुई थी। 12 अक्तूबर को हुई इस वारदात का एफआइआर नंबर 581 है। घर के अंदर हुई इस चोरी के भी सीसीटीवी फुटेज हैं। वह भी जांच अधिकारी पुषपराज को सौंप दिए गए थे। पीड़ित कर्मचारी का आरोप है कि अगर पहली घटना में ही पुलिस ने मुस्तैदी दिखाई होती तो यह दूसरी वारदात नहीं हुई होती।

इसके बाद भी अभी तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। पीड़ित व उसके पिता जब जांच अधिकारी से कई बार गुहार लगा कर हार गए तो एसएचओ के पास कई दफे गए। नतीजा नहीं निकला तो चिंता बढ़ गई। लगा कि कोई आई कार्ड वगैरह का दुरुपयोग कर सकता है। इसलिए कई आला अफसरों से कार्रवाई की शिफारिश लगाई। उन्होने बताया कि दक्षिण पश्चिम जिला के पुलिस उपायुक्त आर ए संजीव से भी गुहार लगाई। मध्य जिला के संयुक्तायुक्त के पास गए, दक्षिण पश्चिम दिल्ली के संयुक्तायुक्त दीपेंदर पाठक का दरवाजा भी खटखटाया, एसीपी एम हर्षवर्धन के पास भी गए। अंत में हार कर सीबीआइ के एक आलाअफसर से भी फोन करवाया।

इस बारे में डीसीपी दक्षिण पश्चिम दिल्ली के उपायुक्त आरए संजीव ने कहा कि उनको दोनों वारदातो की जानकारी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में काफी मेहनत के बाद भी अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। उन्होने कहा कि पुलिस इस मामले में पूरी गंभीरता से काम कर रही है। उम्मीद है चोेर जल्दी पकड़ लिए जाएंगे।