अजय पांडेय
मंच पर सियासत की तल्खी पसरी थी तो सामने मैदान में धूल उड़ रही थी। रविवार को सूबे की पूरी सरकार मौजूद थी लेकिन जनता नदारद थी। कार्यकर्ताओं के सिर पर टोपी जरूर थी लेकिन चेहरे से जश्न का जोश नदारद था। मैदान में कुर्सियों की जगह गाड़ियों की पार्किंग की गई थी। दिल्ली में हुकूमत चला रही आम आदमी पार्टी का सियासी जलसा महज एक कोने में सिमट आया था। यकीन करना मुश्किल था कि यह दिल्ली का वही ऐतिहासिक रामलीला मैदान है जहां पांच साल पहले जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने कैबिनेट के साथ शपथ लेने पहुंचे तो उनकी एक झलक पाने को पूरा शहर उमड़ा आया था। मैदान में तिल तक रखने की जगह नहीं बची थी। आप की स्थापना के पांच साल पूरा होने पर राजधानी के रामलीला मैदान में आयोजति जलसे पर पार्टी की गुटबंदी हावी रही। मंच पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और श्रम मंत्री गोपाल राय के बीच बैठे पार्टी के संस्थापकों में से एक कुमार विश्वास के बीच कोई फासला नहीं था। लेकिन उनकी भाव-भंगिमा बता रही थी कि बीते पांच साल में पार्टी बनाने वालों में मुकम्मल फासला कायम हो चुका है।
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन नेताओं ने अगल-बगल बैठे होने के बावजूद एक-दूसरे की ओर देखा तक नहीं। मंच पर मौजूद नेताओं की आपसी तल्खी पर कुमार विश्वास की तकरीर ने मुहर भी लगा दी। उन्होंने कहा कि सात महीने मुझे बोलने नहीं दिया गया। 20 लोगों ने मुझे घेर कर कहा कि इतना अपमानित करेंगे कि पार्टी छोड़कर भाग जाओगे। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में भी वे सारे दुर्गुण आ गए हैं जो कांग्रेस-भाजपा सहित अन्य पार्टियों में हैं। पार्टी कुछ नेताओं के बीच सिमट गई है। इसे बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में कुछ अहंकारी आ गए हैं। अगर चंद्रगुप्त को अहंकार हो जाए तो चाणक्य का फर्ज है कि वह उसे वापस भेज दे। दूसरी ओर गोपाल राय ने कहा कि मीर जाफर अभी भी अंदर है, उसे बाहर निकालने की जरूरत है। आम आदमी पार्टी सरकार के नए वकील व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बहाने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कुमार ने कहा कि जब इसी रामलीला मैदान में अण्णा हजारे का आंदोलन चल रहा था तो मुझे बताया गया कि तत्कालीन गृह मंत्री चिंदबरम लाठी और-गोली चार्ज कराने की योजना बना रहे थे। उन्होंने विधायक राखी बिड़लान द्वारा वहां मौजूद लोगों में ऊर्जा के अभाव की बात को लेकर कहा कि आज जब आम आदमी पार्टी अपनी स्थापना के पांच साल पूरे कर रही है तो यह सोचने का अवसर जरूर है कि यह ऊर्जा क्यों कम हो गई है।
क्रांति के पांच साल के नारे के साथ आम आदमी पार्टी की स्थापना के पांच साल पूरे होने के मौके पर पार्टी द्वारा राजधानी के रामलीला मैदान के एक कोने में मंच सजाया गया था। लेकिन यह वह मंच नहीं था जिस पर अण्णा का आंदोलन हुआ अथवा दो-दो बार केजरीवाल सरकार ने शपथ ली। यह मंच उससे अलग बनाया गया और घेरेबंदी कर सामने कुर्सियां लगवा दी गर्इं। मैदान में गाड़ियों की पार्किंग कर उसे भर दिया गया था और चारों ओर धूल उड़ रही थी। वहां मौजूद भीड़ में पड़ोसी पंजाब और हरियाणा के लोगों की अच्छी तादाद थी जबकि दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों के लोग भी वहां पहुंचे थे।
पार्टी के इस जलसे में देश भर के 22 राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने शिरकत की। गुजरात से लेकर केरल तक और मध्यप्रदेश से लेकर गोवा और ओड़ीशा तक में सरकार बनाने के दावे किए गए। आम आदमी की आवाज को बुलंद करने का काम किया गया। मुख्यमंत्री केजरीवाल के तारीफ में कसीदे भी खूब गढेÞ गए। लेकिन मंच से मैदान तक का माहौल यह बताने को काफी था कि दिल्ली में हुकूमत चला रही इस पार्टी को संगठन के मोर्चे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।