उपचार में कथित रूप से लापरवाही बरतने के कारण 11 वर्षीय लड़के का पैर काटे जाने के वजह से दिल्ली चिकित्सा परिषद ने चार रेजिडेन्ट डॉक्टरों के पंजीकरण प्रमाणपत्र को एक महीना के लिए निलंबित कर दिया। इसमें से दो डॉक्टर हिन्दू राव और दो सफदरजंग अस्पताल के हैं।

डीएमसी के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल एक मई को एक लड़के के बायें पैर में 2.5 ईंच का एक लंबा कांच का टुकड़ा चुभ गया और उसका अवशेष पांव में फंसा रह गया। यह घटना लड़के के राणा प्रताप बाग में अपने पड़ोस में खेलते समय में हुआ था। पहले उसे एक झोला छाप डॉक्टर के पास ले जाया गया जिसने बिना किसी नैदानिक जांच के घाव पर पट्टी बांध दी और कांच का टुकड़ा पांव में फंसा ही रह गया।

डीएमसी रजिस्टार डॉक्टर गिरिश त्यागी ने बताया कि जब बच्चा दर्द से चीखने लगा तो उसके माता-पिता उसे दो मई को बाड़ा हिन्दू राव ले गये। आपात चिकित्सा के लिए तैनात डॉक्टरों ने भी तब पट्टी बांध दी और उसे छुट्टी दे दी जबकि एक्सरे में स्पष्ट दिख रहा था कि उसके चमड़े के भीतर कांच का टुकड़ा फंसा हुआ है।

उन्होंने बताया कि जब दर्द बंद नहीं हुआ, तो बच्चे को तीन मई को फिर हिन्दू राव ले जाया गया तब डॉक्टरों ने कांच का टुकड़ा निकाला लेकिन तब तक जख्मी धमनियों में संक्रमण फैल चुका था।कुछ दिनों में, लड़के को सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती नहीं किया और नाड़ी सर्जन के पास उसे भेजा गया।

त्यागी ने बताया कि अगले महीने लड़के को मेरठ के एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों को उसे बचाने के लिए उसका पांव काट दिया क्योंकि संक्रमण से उसके जीवन को खतरा था। डीएमसी ने जब मामले की जांच की तो चार डॉक्टर मामले का संतोषजनक जबाव नहीं दे पाये जिसके बाद एक महीने के लिए प्रैक्टिस पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया है।