दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के लॉ फैकल्टी में 70 प्रतिशत से कम उपस्थित होने पर परीक्षा में बैठने से रोके जाने और एक साल खराब होने को ध्यान में रख कर 40 से ज्यादा छात्रों ने शनिवार को कोर्ट में याचिका दायर की है। डीयू छात्र संघ (डूसू) की सचिव महामेधा नागर ने बताया कि डीयू कुलपति और लॉ फैकल्टी की डीन यदि चाहें तो छात्रों का भविष्य बचाया जा सकता है। जिन छात्रों को 70 फीसदी उपस्थिति नहीं होने की वजह से परीक्षा में बैठने से डीन रोक रही हैं, उनके पीछे राजनीतिक शक्तियां काम कर रही हैं। ये सभी लोग मिलकर राजनीतिक लाभ उठाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। महामेधा ने कहा कि यदि सोमवार तक डीन अपने आदेश को वापस नहीं लेती हैं तो मैं भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डालूंगी।  महामेधा ने कहा कि बात सिर्फ अगर एक या दो विद्यार्थियों की होती तो लॉ फैकल्टी प्रशासन की मनमानी सामने नहीं आ पाती लेकिन मसला पूरे 250 विद्यार्थियों का है।

साफ है कि लॉ फैकल्टी की डीन वेदकुमारी ने जानबूझकर छात्रों के भविष्य के साथ छेड़खानी की है, बिना यह सोचे की छात्रों को यह महंगी ही नहीं पड़ेगी बल्कि उनका भविष्य भी इस फैसले से चौपट हो सकता है। यदि एकेडमिक काउंसिल (एसी) चाहे तो इन विद्यार्थियों के भविष्य को बचाया जा सकता है। इसलिए हमलोग सोमवार तक का इंतजार कर रहे हैं यदि तब तक सकारात्मक परिणाम नहीं आए तो मजबूरन दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डालनी होगी। उन्होंने कहा कि इस आदेश का सबसे ज्यादा नुकसान प्रथम वर्ष के छात्रों को भुगतना पड़ेगा क्योंकि पहले ही वे ही प्रवेश परीक्षा पास कर दाखिला लेने में सफल हो पाए हैं और यदि विभाग अपना आदेश वापस नहीं लेगा तो अगले सत्र में उन्हें दोबारा प्रवेश परीक्षा देनी होगी।