दिल्ली सरकार के पास अधिकार वैसे भी कम हैं, अब नगर निगमों को एक करने पर रहा-सहा काम भी कम हो जाएगा। प्रदेश की सत्ता को संभालने वाले चिंतित इस बात पर भी हैं कि अगर पहले की तरह निगम के पास अधिकार चले गए तो परिवहन के अलावा पानी जैसे विभाग भी छिन जाएंगे। इसलिए सरकार और केंद्र सरकार के बीच अब ज्यादा खींचतान दिख रही है।

पिछले दिनों राज्य की सदन में सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे पदाधिकारी तो बोल ही बैठे कि किसी कि जिद ने पूरे राज्य को बिगाड़ दिया है। दरअसल, मामला कुछ केंद्रीय विभागों के जवाब न देने का था। तर्क दिया जा रहा है कि पहले तो पुलिस विभाग के मुखिया भी आराम से आकर सदन में जवाब देते थे अब क्या हो गया। अधिकार पर अतिक्रमण की यह तकरार अभी कितने दिन चलनी है यह आगे पता चलेगा।

छूट की लूट

दिल्ली में शराब न हो गई कोई दवा हो गई। इस पर ऐसे छूट मिल रही है जैसे यह जिंदगी के लिए बेहद जरूरी हो। हालांकि पीने वाले तो इसका बखान करते ही हैं, लेकिन बिना कुछ बोले ही छूट देकर इस बखान में कोई अपनी मंजूरी भी साबित कर देती है। एक तरफ दूसरे राज्यों में नशे पर पाबंदी लगाने की बात होती है लेकिन दिल्ली में यही नशा सस्ता हो जाता है।

पिछले दिनों जब शराब की दुकानों पर छूट का पता लोगों को हुआ तो लूट मच गई। इतनी कतार तो नोटबंदी के बाद शराब की दुकानों पर तब दिखी जब किसी सरकारी छुट्टी में दुकान बंद होने का एलान होता है। हालांकि कुछ दुकानों पर विपक्षी पार्टियों ने अपने विरोध का पूरा इंतजाम कर रखा है। उनको बैठे-बैठे मुद्दे जो मिल रहे हैं।

यमुना में गंगा स्नान!

फिसली जुबान और सदन के दर्शक दीर्घा में लगा ठहाका! यह वाकया दिल्ली विधानसभा में बीते दिनों की है। दरअसल सदन में बजट पर चर्चा चल रही थी। विधायक बंदना कुमारी बजट चर्चा में भाग ले रही थीं। यमुना सफाई की परियोजना पर बजट में धन आबंटन पर वो जैसे ही पहुंची, वित्त मंत्री की पीठ थपथपाते हुए बोल बैंठी-बजट में यमुना का सफाई के लिए जो लक्ष्य व धन आबंटन किया गया है।

वह मुख्यमंत्री केजरीवाल के सपने को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है। केजरीवाल सरकार के प्रयत्न से जल्द ही यमुना स्वच्छ होगी व सुंदर होगी दिखेगी और उसमें लोग ‘गंगा स्नान’ कर सकेंगे। यमुना में गंगा स्नान को लेकर उनकी मंशा चाहे जो रही होगी लेकिन तथ्य आते ही दर्शक दीर्घा में हसी और कानाफू सी शुरू हो गई। बहरहाल कुछ लोगों ने चुटकी ली, कहा-यमुना, डुबकी लगाने लायक बनाना ही सरकार के लिए मानो गंगा नहाने जैसा है, क्योंकि इसे मुख्यमंत्री ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट घोषित कर रखा है।

सीधी सौदेबाजी

एक तरफ प्राधिकरण जहां नोएडा के यमुना डूब क्षेत्र में बने फार्म हाउसों को अवैध बताकर वहां बने पक्के निर्माण को तोड़कर वाहवाही बटोर रहा है। वहीं प्राधिकरण के नाक तले कुछ लोग डूब क्षेत्र में फार्म हाउस के लिए जमीन की सौदेबाजी कर रहे हैं। पिछले करीब छह महीनों के दौरान रिहायशी, औद्योगिक आदि भूखंडों की कीमत बढ़ने का क्रम जारी रहने का सीधा असर अवैध माने जाने वाले फार्म हाउसों की जमीन पर भी पड़ा है।

इनकी कीमत में भी करीब 20 फीसद बढ़ोतरी किसानों से सौदा कर आगे फार्म हाउस बनाकर बेचने वाले कारोबारियों ने कर दी है। मद्यपान और मद्य निषेध विभागों की तर्ज पर फार्म हाउसों को अवैध बताना, उसके बावजूद महंगी कीमतों में लगातार मांग बढ़ने का सिलसिला औद्योगिक महानगर में लगातार जारी है।

मुद्दा मीडिया वाला

राज्य की एक पार्टी को कोई मुद्दा मिले न मिले शराब का मुद्दा ऐसा है जो बैठे-बैठाए मिल जा रहा है। पिछले दिनों से स्कूल व मोहल्ला क्लीनिक पर सरकार को घेरने के बाद अब शराब का मुद्दा फिर मिल गया। अभी जो छूट फिर से शुरू हुई है उस पर पार्टी दिल्ली की सत्ता में काबिज सरकार को किसी भी तरह से शांत बैठने देना नहीं चाहती है। इसको लेकर बकायदा विरोध भी किया जा रहा है। बेदिल ने जब एक नेता से पूछा कि शराब पर फिर हंगामा कब तक चलेगा, तो वह बोल पड़े। जब तक मीडिया चलाए।
-बेदिल