दिल्ली में ‘उपमुख्यमंत्री पद’ को गैरकानूनी बताते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग के पास मंगलवार को एक शिकायत दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि उपमुख्यमंत्री पद पर मनीष सिसोदिया की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए और उनके द्वारा लिए गए फैसलों को अमान्य करार दिया जाए क्योंकि उनकी नियुक्ति कानून-सम्मत नहीं है और न ही इसमें उपराज्यपाल की मंजूरी शामिल है।

युवा वकील विभोर आनंद ने मंगलवार को उपराज्यपाल के पास दर्ज शिकायत में कहा है, ‘वर्तमान में मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री जिस पद पर बैठे हैं उसका सृजन गैरकानूनी तरीके से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया है। जिसमें न तो कानूनी प्रावधानों का पालन किया गया, न ही उपराज्यपाल द्वारा मंजूरी ली गई।’ गौरतलब है कि विभोर आनंद ने रोगी कल्याण समिति मामले में 27 आप विधायकों पर ‘लाभ के पद’ के दायरे में आने संबंधी शिकायत भी की हुई है। जिसपर चुनाव आयोग ने हाल ही में नोटिस भेजकर इन सभी विधायकों से जवाब मांगा है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने दर्ज किया आदिवासी की हत्‍या करने का मामला

शिकायतकर्ता ने उपराज्यपाल नजीब जंग के पास दर्ज शिकायत में कहा है, ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239एए, जीएनसीटीडी एक्ट 1991 और ट्रांजेक्शन आॅफ बिजनेस रूल्स, 1993 के तहत शासित होता है। इन तीनों में उपमुख्यमंत्री के पद या कार्यालय का उल्लेख नहीं है। ऐसे में इस तरह के किसी भी पद का सृजन केवल पहले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239एए और फिर जीएनसीटीडी एक्ट 1991 में संशोधन कर किया जा सकता है। माननीय हाई कोर्ट ने भी अपने आदेश (5888/2016) में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रशासन के कामकाज के संबंध में नियमों को स्पष्ट किया है।’

शिकायतकर्ता आगे लिखते हैं, ‘मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपमुख्यमंत्री के पद के सृजन में न तो कानून का पालन किया और नहीं उपराज्यपाल की मंजूरी ली जो कि हाई कोर्ट के अनुसार अनिवार्य है। ऐसे में मनीष सिसोदिया का उपमुख्यमंत्री का पद गैरकानूनी है और इस तौर पर उनके द्वारा लिए गए फैसले और आदेश भी गैरकानूनी हैं और इनकी तुरंत समीक्षा होनी चाहिए।’