आतंकवादियों के निशाने पर रहने वाली दिल्ली में आपराधिक वारदातों पर नकेल कसने से चूके उपायुक्तों का तबादला कर दिया गया है। वहीं तीन दशकों से तैनात करीब चार हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तरक्की दे दी गई है। इससे पहले आयुक्त ने करीब डेढ़ सौ इंस्पेक्टरों सहित दो सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों के तबादले कर कई तरह के मिथक को तोड़ा है। इस फेहरिस्त में अभी कई आला अधिकारी नपेंगे तो कइयों को प्रोन्नति मिलेगी।  बताया जा रहा है कि 30 सालों से कई कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल नहीं बन पाए। पुलिस मुख्यालय के संयुक्त आयुक्त प्रवीण रंजन ने कहा कि लंबे समय से कई कारणों से प्रोन्नत नहीं हो रहे जवानों और अधिकारियों को नियमानुसार अभी एक ही बार में 4332 सभी रैंको के पुलिसवालों को प्रोन्नति दी गई है। अभी कुछ अन्य लोगों की बारी भी आने वाली है।

पूर्व पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी के बनाए कनिष्ठ पुलिसवालों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के तंत्र को मौजूदा आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने जुलाई महीने में ही सख्ती से लागू करने का फरमान जारी कर यह संदेश दिया था कि वे अपनी प्राथमिकताओं को अपने कार्यकाल के बचे समय में पूरा करने की कोशिश करेंगे। तब कहा गया था कि जिले के पुलिस उपायुक्त या संबंधित यूनिटों के उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और यहां तक कि विशेष आयुक्त बिना आयुक्त की सहमति के अपने किसी कनिष्ठों के न तो पर कतर सकते हैं, न स्थानांतरण कर सकते हैं और न ही प्रोन्नति दे सकते हैं। इसके लिए अधिकारियों को पूरे कारणों और उपलब्धियों का ब्योरा देना पड़ेगा। जिस बिना पर वे कांस्टेबलों, हेड कांस्टेबलों और सहायक सब इंसपेक्टरों के लिए बनाए गए ह्यआॅटोमेटिक पोस्टिंग एंड ट्रांसफरह्ण (एपीटी) नीतियों का पालन कर रहे हैं। आयुक्त के इस फरमान के बाद अपने अधिकार छीने जाने वाले उपायुक्तों और ऊपर के अधिकारियों में हलचल हुई थी। जुलाई में हुई इन हलचलों से अलग आयुक्त ने अगस्त में इंसपेक्टरों के तबादलों की झड़ी लगा दी। करीब डेढ़ सौ इंस्पेक्टरों को इधर से उधर किया गया।

बताया जा रहा है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति और दिनदहाड़े लूटपाट, लूटपाट का विरोध करने पर हत्या, पुलिस खौफ से इतर बलात्कार की घटनाओं के बाद आयुक्त को सबसे ज्यादा वीवीआइपी इलाके नई दिल्ली जिला से लेकर सुदूर बाहरी जिला, बार्डर इलाके पूर्वी और उत्तर-पूर्वी जिले में एक के बाद एक हो रही लूटपाट, बाहरी जिला, दक्षिणी और दक्षिणी पश्चिमी जिले में हो रही कार और वाहन चोरी की वारदातें और नई दिल्ली जिला, उत्तर-पूर्वी, मध्यम और उत्तरी जिला में झपटमारी की वारदातों ने हिला दिया। इसी महीने पुलिस मुख्यालय में आयोजित कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में आयुक्त वर्मा ने जिले के उपायुक्तों को चेताया था कि उनका काम संतोषप्रद नहीं है। उन्होंने बजाप्ता जिले की सूची रखते हुए वारदातों की लंबी लाईन और बढ़ रही वारदातों का जिक्र किया था। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हो रही आपराधिक वारदातों के डाटा और उसके खुलासे के फीसद को देखने से ऐसा लगता है कि बड़ी वारदातों के अलावा कुछ जिले में लूटपाट, कुछ में कार और वाहन चोरी और कई जिले में झपटमारी तक को रोकने में उपायुक्त नाकाम दिख रहे हैं।

बैठक में मौजूद आला अधिकारियों को उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि राजधानी होने के नाते ऐसे वारदातों पर लगाम लगाने के लिए जो भी उपाय हो सकतें हैं उपायुक्त उठाएं, अतिरिक्त जवानों को तैनात करें पर समर्पित भाव से इसे गंभीरता से लें। झपटमारी की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता जताते हुए उन्होंने उपायुक्तों को चेताया था कि इसे गंभीरता से लेते हुए रोकथाम पर ध्यान दें। आयुक्त वर्मा की अनुशंसा पर शनिवार को उन्हीं निशानदेही जिलों में से कुछ के उपायुक्तों का फेरबदल कर बचे अधिकारियों की लिस्ट बनानी शुरू हो गई है।