दिल्ली नगर निगम अभी पूरी तरह गठित नहीं हो पाया है। लेकिन नए पार्षदों में धमाचौकड़ी शुरू हो गई है। उन्होंने अपने-अपने इलाके में जहां अधिकारियों पर रौब दिखाना शुरू कर दिया है वहीं निगम अधिकारी भी रेहड़ी-पटरी और भवन निर्माण करने वालों से अवैध कब्जे और पुरानी फाइल निकालकर जबरन बिल्डिंग बाइलाज व एफएआर के नाम पर तोड़फोड़ की प्रक्रिया शुरू कर दी है। तीनों निगमों में यह खेल शुरू है। लेकिन दक्षिणी निगम में तो खुलकर रेहड़ी पटरी वालों से पगड़िया लेना शुरू हो गया है। निगम सूत्रों का कहना है कि नवगठित दिल्ली नगर निगमों में मेयर, उपमेयर, स्थाई समिति के अध्यक्ष और सदन के नेता के बाद अब सत्तारूढ़ दल के पार्षदों में निगम की महत्त्वपूर्ण समितियों में जगह पाने की इसलिए होड़ लगी हुई है ताकि वे अपने-अपने इलाके में धौंस जमा सकें। दिल्ली सरकार ने अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की जिससे निगम की समितियों का गठन हो सके। लेकिन निगम में सत्तारूढ़ दल भाजपा और दिल्ली सरकार में सत्तारूढ़ और निगम में विपक्ष की भूमिका में आए आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने धमाचौकड़ी शुरू कर दी है।
भाजपा तो लंबे समय से निगम पर काबिज है। लेकिन आम आदमी पार्टी बतौर कांग्रेस को अलग-थलग कर विपक्ष के रूप में निगम के सामने आई है। ‘आप’ पार्षद भले ही निगम में विपक्ष में हो पर दिल्ली में उसकी पार्टी की सरकार होने के कारण उनमें यह गुमान तो हैं कि कई मसले पर वे सत्तारूढ़ दल को भी पानी पिला सकते हैं। इस बार पार्टी ने 47 सीटें जीतकर निगम में अपनी हैसियत दूसरी पार्टी की बना ली है। भाजपा 184 सीटें जीतकर तीनों निगमों में बहुमत में है। तीनों निगमों के 12 जोनों में उत्तरी निगम में छह सिविल लाइंस, सदर पहाड़गंज, सिटी, करोलबाग, नरेला और रोहिणी, दक्षिणी दिल्ली में चार मध्य, दक्षिणी, पश्चिमी और नजफगढ़ और पूर्वी दिल्ली में शाहदरा दक्षिणी और शाहदरा उत्तरी दो जोन बांटे गए हैं। निगम सूत्रों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारियों मेयर, उपमेयर, स्थाई समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदन के नेता ही नहीं बल्कि स्थाई समिति के सदस्यों और वैधानिक और तदर्थ समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों ने अपना कद इस कदर बढ़ा लिया है कि वे इलाके में निगम के सभी विभागों में अपनी जबरन उपस्थिति दर्ज कराने से नहीं चूकते। हालात यह है कि अगर केंद्र सरकार या राज्य सरकार के भी किसी दफ्तर, सड़क का नामकरण, सामुदायिक भवनों या चौपालों का उद्घाटन होता है तो उसमें निगम पार्षद के नाम दर्ज करना अनिवार्य हो गया है अन्यथा स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते हंगामा करना निश्चित है। इसका फायदा वे निगम की गतिविधियों में उठाने से बाज नहीं आते।
सूत्रों का कहना है कि इस दिनों दक्षिणी निगम के कालकाजी, श्रीनिवासपुरी, लाजपतनगर, सीआर पार्क, बदरपुर व छतरपुर इलाके में सड़क पर अवैध गतिविधियों को करने की मंजूरी देकर पगड़ियां वसूलना शुरू हो गया है। यही नहीं, पुराने रसूखदार पार्षदों को मजा चखाने के लिए और इलाके में अपनी हैसियत दिखाने के लिए सत्तारूढ़ दल के पार्षदों ने पुरानी फाइलें खोलकर सालों पहले निर्माण हुए बिल्डिंग मालिकों को भी निगम अधिकारियों के हाथों परेशान करने की कवायद शुरू कर दी है। कालकाजी में मल्टीलेवल पार्किंग का चालू नहीं होना और निगम के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के बेसमेंट में पानी जमा होने की ओर निगम अधिकारियों का ध्यान कम और सड़कों पर रेहड़ी वालों से वसूली करने में ज्यादा है। अवैध पार्किंग को मंजूरी देकर निगम अधिकारी जहां इलाके में जाम को बढ़ावा दे रहे हैं वहीं हर गली मुहल्ले और हाट बाजार में सड़क किनारे ठेला, खोमचे और खानेपीने की वस्तुएं बेचने की अपरोक्ष लाइसेंस देकर इलाके के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि इतना ही नहीं नए पार्षदों ने तो मार्केट एसोसिएशनों के पदाधिकारियों और पुरानी फाइल खोलकर निर्माणाधीन बिल्डिंग में बाइलाज का उल्लंघन और एफएआर के उल्लंघन को जरिया बताकर उन्हें परेशान करने का बीड़ा उठाया हुआ है। इससे जहां पुराने कद्दावर पार्षदों की रौब दौब कम होगी वहीं नए पार्षदों का हौवा इलाके में बरकरार होगा।
