डेंगू के लगातार बढ़ते कहर को रोकने में अब तक नाकाम रही केंद्र व दिल्ली सरकार व स्थानीय निकायों को दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। अदालत ने इनसे दो हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। पिछले 24 घंटे में तीन और मरीजों की मौत हो गई है। राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती 11 साल की बच्ची फातिमा ने दम तोड़ दिया। संजय कालोनी की डेढ़ साल की सपना की सफदरजंग अस्पताल में मौत हुई। इसके साथ ही डेंगू से मरने वालों की संख्या 15 हो गई है। मरीजों का आना लगातार जारी है।
दिल्ली के संगम विहार इलाके के निवासी विनोद माथुर की तीन साल की बच्ची नेहा तान्या की भी डेंगू ने जान ले ली। बच्ची के परिजनों के मुताबिक उसे बुखार होने पर मदनमोहन मालवीय अस्पताल में दिखाया, लेकिन उन्होंने भर्ती नहीं किया, दवा देकर घर भेज दिया। आराम नहीं आने पर वे हमदर्द मजीदिया अस्पताल गए लेकिन वहां भी बिस्तर नहीं था। बाद में साकेत सिटी अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी मौत हो गई।
दिल्ली सरकार ने गुरुवार को बताया कि पिछले 24 घंटे में दिल्ली के 34 अस्पतालों में कुल 2519 मरीज बुखार और इससे संबंधित लक्षणों के साथ भर्ती किए गए हैं। इनमें से महज 281 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। दिल्ली सरकार ने अपील की है कि वे एहतियात बरतें लेकिन अफवाहों पर कान न दें।
एम्स सहित तमाम अस्पतालों में बिस्तरों के अतिरिक्त इंतजाम के बावजूद सभी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी से भी अस्पताल जूझ रहे हैं। सभी डॉक्टरों व कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द होने के बावजूद लालबहादुर शास्त्री अस्पताल में बने आइसीयू में डॉक्टर नजर नहीं आए। हालांकि अस्पताल में तीन वार्ड बना कर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। यहां आसीसीयू में भर्ती मरीज इजराइल (32) की हालत गंभीर बनी है। उनकी बहन समीना ने बताया कि उनके भाई को पांच-छह दिन से दिक्कत है। पहले यहां के डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें टायफाइड है। बाद में उनका पेट फूलता गया और उनकी हालत गंभीर हो गई। अब डॉक्टर कह रहे हैं कि डेंगू है। उनके लिए चार यूनिट खून मांगा था। बुधवार को तीन यूनिट दिया था। हमारे पास अब डोनर नहीं हैं तो खून भी कहीं से नहीं मिल पा रहा है। रेडक्रॉस ने भी बैरंग लौटा दिया। यहां भर्ती इंदरजीत सहित कई मरीज गंभीर हैं।
अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अमिता सक्सेना ने बताया कि रूटीन सर्जरी रद्द कर दी है। ओपीडी साढ़े आठ बजे शुरू कर दी है। बुधवार को 1200 मरीज फीवर क्लीनिक में आए थे। गुरुवार सुबह ही 100 का आंकड़ा पार हो गया था। शाम तक कतार लग गई है। 15 बिस्तरों का आइसीयू बनाया है। जीटीबी से भी मदद ले रहे हैं। बाड़ा हिंदूराव में 10 वार्ड बनाए गए हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर वीके खुराना ने बताया कि 960 बिस्तरों में से लगभग 370 बिस्तरों पर पहले ही डेंगू के 600 मरीजों को रखा गया है। जरूरत के हिसाब से दूसरे वार्डों में भी डेंगू मरीज भर्ती कि ए जा रहे हैं।
एक ओर जहां सभी मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे हैं वहीं कुछ मरीजों ने बुखार में एंटीबायोटिक दिए जाने की बात भी स्वीकार की जबकि डेंगू के मरीज को एंटीबायोटिक देना घातक है। कुछ डिस्पेंसरी में भी यह गड़बड़ी हो रही है। ब्लड बैंक में काम करने वाले एक अधिकारी ने बताया कि उनके बेटे को डेंगू होने पर पंडारा पार्क इलाके के काकानगर में सीजीएचएस की डिस्पेंसरी में दिखाने आए तो डॉक्टर ने कहा कि डेंगू नहीं है। खून की जांच किए बिना ही यहां के डॉक्टर ने एंटीबायोटिक दे दिया। लेकिन उन्होंने दवा लेने के बजाए दूसरे अस्पताल जाना मुनासिब समझा। उन्होंने बताया कि एक ओर निजी अस्पतालों में बिस्तर नहीं होने की बात कह कर लोगों को भर्ती करने से मना किया जा रहा है दूसरी ओर जैसे ही उन्होंने मध्य दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती के लिए बेड का इंतजाम करने की कोशिश की अस्पताल की ओर से मरीज लाने के लिए बारबार फोन आने लगे।
सरकारी दावों के उलट मरीजों को प्लेटलेट्स नहीं मिल पा रहे हैं। एम्स के एक वरिष्ठ संकाय सदस्य को भी हालत खराब होने के बावजूद एम्स के ही ब्लड बैंक ने प्लेटलेट्स न होने की बात कह इनकार कर दिया। देर रात चिकित्सा अधीक्षक से गुहार लगाने पर उन्हे प्लेटलेट्स मिल पाया और डॉक्टर की जान बचाई जा सकी। जिन्हें प्लेटलेट्स मिल भी रहा है उन्हें तय समय बीतने पर चढ़ाया जा रहा है जो कारगर नहीं होता। आम आदमी पार्टी ने इस बीच मुफ्त फीवर क्लीनिक चलाने का एलान किया है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने श्वेतपत्र जारी किया है। वहीं दिल्ली सरकार ने गुरुवार को तीनों निगमों के साथ बैठक की। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि निगम डेंगू के रोजाना आने वाले मरीजों की जानकारी मुहैया कराए।
लाएं जरूरी सबूत
दिल्ली हाई कोर्ट ने डेंगू के बढ़ते मामलों में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए डेंगू की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के बारे में केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने स्थानीय निकायों से भी दो हफ्ते के भीतर हलफनामा देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ के पीठ ने तीनों नगर निगमों और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) से भी बीमारी की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने को कहा है।
अदालत ने याचिकार्ता की उन मांगों को मानने से फिलहाल इनकार किया है जिसमें उन अस्पतालों के निदेशकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का आदेश देने की मांग की गई थी जिन्होंने डेंगू से मरने वाले बच्चे को भर्ती करने से इनकार किया था। गौरतलब है कि कानून की पढ़ाई कर रही छात्र गौरी ग्रोवर ने एक याचिका दायर करके प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिए जाने की मांग की है। याचिका में दावा किया गया है कि अस्पतालों की बेरुखी के कारण बच्चे की मौत हो गई। अदालत ने इस बाबत कुछ जरूरी सबूत लाने को कहा है।
अफवाह से करें परहेज
दिल्ली सरकार ने बताया कि पिछले 24 घंटे में दिल्ली के 34 अस्पतालों में कुल 2519 मरीज बुखार और इससे संबंधित लक्षणों के साथ भर्ती किए गए हैं। इनमें से महज 281 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। दिल्ली सरकार ने अपील की है कि वे एहतियात बरतें पर अफवाहों पर कान न दें।