आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश को विफल करने के लिए तमाम विपक्षी दलों के प्रमुखों से मिल रहे हैं। दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है। इसे विफल करने के लिए केजरीवाल विपक्ष को एकजुट कर रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के अलावा, जनता दल(यूनाइटेड) के नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की है। हालांकि, सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से इस पर कोई स्टैंड अभी तक देखने को नहीं मिला है।

आप आज के समय में एक नेशनल पार्टी है, जिसने विभिन्न राज्यों में अपनी पकड़ को मजबूत किया है और इसका सबसे ज्यादा असर कांग्रेस पर देखने को मिला है। पंजाब और दिल्ली विधानसभा चुनाव के अलावा, गुजरात एवं गोवा में आप की एंट्री के साथ कांग्रेस की स्थिति प्रभावित हुई है। इन राज्यों के विधानसभा चुनाव में आप की एंट्री के बाद कांग्रेस की सीटें कम हुई हैं।

सबसे पहले बात करते हैं दिल्ली की। 2012 में आम आदमी पार्टी की स्थापना के बाद आप ने 2013 में पहली बार चुनावी मैदान में कदम रखा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उसे 28 सीटों पर जीत मिली। वहीं, कांग्रेस के पास आईं 8 और भाजपा ने 32 सीटें जीतीं। आंकड़े बताते हैं कि आप की एंट्री से सबसे ज्यादा प्रभाव कांग्रेस की स्थिति पर पड़ा क्योंकि इससे पिछले चुनाव में उसने 43 सीटें जीती थीं और भाजपा ने 23 पर कब्जा किया था। 2013 के चुनाव में कांग्रेस की 35 सीटें घट गईं और भाजपा की 32 बढ़ गईं। उस साल आप और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी और अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सफाया होगा और वह एक भी सीट नहीं जीती। वहीं, आप ने 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया।

दिल्ली के बाद आप ने पंजाब के चुनावी मैदान में कदम रखा। 2017 में वह पहला चुनाव लड़ी और 20 सीटें जीतीं। उस साल कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। अगले विधानसभा चुनाव तक स्थिति पूरी तरह बदल गई और कांग्रेस की सीटों में 59 की कमी आ गई, जबकि आप को 72 सीटों की बढ़त मिली। आप ने 92 सीटें जीतर सरकार बनाई और कांग्रेस 18 सीटों पर ही सिमट गई।

गोवी की विधानसभा में आप के दो विधायक हैं। पिछले साल यहां विधानसभा चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने 9 सीटें जीतीं। आप ने पहली बार चुनाव लड़ा और 2 सीटें जीत लीं, जबकि पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस की 2 सीटें घट गईं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस के पास 11 सीटें आई थीं और 2022 में 9 सीटें मिलीं।

गोवा के साथ आप ने गुजरात विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई और उसे 5 सीटों पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस की 60 सीटें कम हो गईं। हालांकि, आप की एंट्री का भाजपा की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ा। 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा की 56 सीटें बढ़ गईं और 156 सीटों पर जीत हासिल की।