सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच कर रहे न्यायाधीश अग्रवाल आयोग ने आयोग के समक्ष पेश नहीं होने पर दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) के प्रमुख मुकेश कुमार मीणा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। वारंट 15 सितंबर तक तामील कराया जाना है। सीएनजी फिटनेस घोटाला शीला दीक्षित के कार्यकाल का है। इस घोटालें में दिल्ली सरकार के कई पूर्व अधिकारियों के नाम आए हैं।

काफी समय से इस घोटाले की जांच चल रही है। दिल्ली में जिस समय उपराज्यपाल का शासन था, तो उपराज्यपाल नजीब जंग ने पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुदगल से इस कथित घोटाले की जांच कराई थी। मुदगल आयोग ने माना था कि गड़बड़ी तो हुई है,लेकिन किसी ने दुर्भावनावश को गड़बड़ी नहीं की। इस रिर्पोट के बाद उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस मामले को बंद कर दिया था।

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता संभालते ही इस कथित घोटाले की जांच फिर से शुरू करवाई। केजरीवाल सरकार उपराज्यपाल को इस मामले की जांच दबाने के आरोप में आरोपी बनाना चाहती थी। उपराज्यपाल सरकार की इस मंशा को भांप गए। उन्होंने दिल्ली के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुकेश कुमार मीणा को एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) का प्रमुख बना दिया। केजरीवाल सरकार ने मीणा को एसीबी का प्रमुख मामने से ही इनकार कर दिया। यह विवाद दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है।

दिल्ली सरकार ने सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए न्यायाधीश एसएन अग्रवाल आयोग का गठन किया। लेकिन उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस आयोग को ही असंवैधानिक ठहरा दिया। आयोग ने अपना काम जारी रखा। वहीं एसीबी प्रमुख मुकेश कुमार मीणा ने इस लंबित मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। इससे दिल्ली सरकार नाराज हो गई।

न्यायाधीश अग्रवाल आयोग ने मीणा को नोटिस जारी पेश होने को कहा। लेकिन उपराज्यपाल की ओर से आयोग को असंवैधानिक ठहराए जाने के बाद मीणा आयोग के सामने पेश नहीं हुए। इसे देखते हुए न्यायाधीश अग्रवाल आयोग ने शुक्रवार को एसीबी प्रमुख के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। इस वारंट को 15 सितंबर तक तामील कराया जाना है।