बुरा ना मानो होली है…यही वजह है कि होली के इस मौके पर देश में एक तरफ चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर व्यापारियों का एक समूह विरोध प्रदर्शन कर रहा है तो दूसरी ओर चीन में बनी पिचकारी, स्प्रे और रंगों को विभिन्न भारतीय नामों से बाजारों में खूब बेचा जा रहा है। करोल बाग, सदर बाजार, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक, जामा मस्जिद, फतेहपुर मस्जिद, शीशगंज गुरुद्वारा के सामने, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन रोड, अग्रवाल रोड और अन्य सभी गलियों में धड़ल्ले से चीन में बने होली के सामान को बेचा जा रहा है।
पुरानी दिल्ली ही नहीं बल्कि पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर, शकरपुर, पांडव नगर, प्रीत विहार, गांधी नगर से लेकर दक्षिणी दिल्ली के सरोजनी नगर, महरौली, फतेपुर बेरी गांव में भी सामान बेचे जा रहे हैं। हरियाणा लेबर बोर्ड के सदस्य सुधीर बिधूड़ी कहते हैं कि इस समय तो वे फरीदाबाद में रहते हैं पर पुश्तैनी घर के कारण उनका पूरा कार्यक्षेत्र दिल्ली ही रहा है। विधूड़ी का कहना है कि कनॉट प्लेस, करोल बाग, चांदनी चौक के साथ यहां के महरौली, तुगलकाबाद, मदनपुर खादर, सरिता विहार, जसोला गांव और अन्य स्थानों पर भी लोग चीन में बनी वस्तुएं खरीदते दिखाई पड़ रहे हैं। उनमें स्वदेशी की भावना अगर है तो वे सरकार के लिए नहीं बल्कि देशवासियों के लिए चीन में बनी वस्तुओं का बहिष्कार करते।
वे कहते हैं कि उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों-परिचितों में इस बात को लेकर जागरूकता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग कर होली मनाएं और विदेशी वस्तुओं से परहेज करें। बच्चों को भी इस दिशा में बताने की जरूरत है। जबकि सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कुमार कहते हैं कि चीन में बनी वस्तुओं का बहिष्कार तब होता जब बाजारों में सरकार की ओर से छापे पड़ते।

