कालकाजी इलाके में सैर-सपाटे पर निकलने वाले लोगों के बीच इलाके की विधायक चर्चा का केंद्र बनी हुर्इं हैं। बीच बहस में विधायक विकास कार्यों को लेकर नहीं बल्कि इलाके में लगे बोर्ड पर बदले नाम को लेकर चर्चा में हैं। दरअसल, चुनाव से पहले यहां की विधायक के नाम के आगे कुछ और उपनाम जुड़ा था। चुनाव के बाद उसमें पीछे से एक नाम हटा दिया गया। अब इन दिनों विधायक अपने सरकारी बोर्ड पर नए तेवर में नजर आ रहे हैं।
उसमें उनके इकलौते नाम को सहारा देते हुए फिर से एक उपनाम जोड़ दिया गया है। यह उपनाम ’’सिंह’’ होने से इलाके में चर्चा शुरू हो गई। हालांकि हो सकता है कि यह उनका निजी मामला हो, लेकिन क्षेत्र के लोगों को चर्चा से कौन रोक सकता है भला ! किसी ने ठीक ही कहा-अपने जनप्रिय नेता की सुध लेना भी तो जनता का ही कर्तव्य है। बहरहाल ..चर्चा जारी है! अब विधायक की सफाई देने की बारी है..!
आपा खोते नेता
आम से खास बने नेताजी इन दिनों आपा खोते दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिसको लेकर पार्टी के अंदरखाने कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच जोरों पर चर्चा चल रही है। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि जिन आम लोगों ने नेताओं को खास बनाया और उनको जिता कर पार्टी को बहुमत दिया, अब नेताजी को उन लोगों की समस्याएं सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं रही।
यदि कोई उनसे शिकायत कर दे तो बात हिंसा तक पहुंच जा रही है। बीते दिनों एक शख्स ने कार्यक्रम में शामिल होने आए नेताजी को रोक लिया और सीवर की समस्या से अवगत कराया, जिसके बाद नेताजी आग बबूला हो गए और थप्पड़ जड़ दिया। वहीं, एक नेता ने तो सारी हदें पार कर दी। वह एक पूजा स्थल में दाखिल हुए और वहां पर मामूली बात को लेकर हाथापाई पर उतारु हो गए। इसको लेकर चर्चा है कि आज कल कुछ नेताजी सयंम से काम नहीं ले रहे हैं। वह उस आम आदमी से दुर्व्यवहार कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें आम से खास बनाया है।
सिफारिश या सौदा
उत्तर प्रदेश में तबादलों का दौर बेहद धीमी गति से जारी रहने से जहां अधिकारी बगैर दिलचस्पी के काम कर रहे हैं, वहीं तबादला होने वाले जिले के तीनों औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों को अभी तक कार्य मुक्त नहीं किया गया है। और न ही उनके स्थान पर प्रदेश के अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों से नए अधिकारी आए हैं। इस बीच तबादला रुकवाने कोशिश में लगे इंजीनियरों समेत अन्य अधिकारियों के पास औसतन दिन में चार से पांच मोबाइल पर फोन आ रहे हैं, जो उनका हर हाल में तबादला रुकवाने की बात कहकर सौदेबाजी कर रहे हैं।
ठगी होने की पूरी संभावना होने के बावजूद कई इंजीनियर और अधिकारी ऐसे लोगों की लच्छेदार बातों में फंसकर लाखों रुपए डुबो चुके हैं लेकिन खुलकर इसे बता नहीं रहे हैं। नोएडा, ग्रेनो और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में ऐसे कई अधिकारियों के नामों की चर्चा हो रही है। दीगर है कि ये वहीं हैं, जिन्होंने अपने पद पर रहते हुए बगैर मोटा सुविधा शुल्क लिए कोई काम नहीं किया और अब तबादले के पीछे नेताओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
खाकी का दर्द
खाकी वर्दी आजकल सिर्फ पुलिस का गणवेष नहीं है।पिछले दिनों दिल्ली में कोरोना का चालान काटने वाले भी पहनकर घूमते देखे गए। वहीं, होम गार्ड तो काफी पहले से ही इस रंग को अपना चुके हैं। लेकिन खाकी का दर्द हर सेवा में लगे लोगों का अलग-अलग है। दिल्ली पुलिस अपने दर्द से गुजर रही है तो होम गार्ड अलग दर्द से। पिछले दिनों बेदिल से ऐसे ही वर्दी में एक शख्स टकरा गए। बताने लगे कि अब तो हर जगह पुलिस नहीं होम गार्ड हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर खाकी के अलावा खाकी जैसा दर्जा नहीं मिला। उसके बाद बेदिल वहां से निकल कर अपने घर पहुंचा तो सच में उसे चौराहों से लेकर पुलिस चौकी और बस स्टाप से लेकर बाजारों तक में होम गार्ड ही दिखे।
-बेदिल