केंद्र सरकार के सभी विभागों से कहा गया है कि वे आइएएस अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के लंबित मामलों की मासिक आधार पर समीक्षा करें ताकि उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई को समय पर और उनके सेवानिवृत्त होने से पहले अंतिम रूप दिया जा सके। यह पहल ऐसे समय में सामने आई है जब यह पाया गया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), उनके कैडर नियंत्रण प्राधिकार के पास मंत्रालय से आइएएस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के संबंध में प्रस्ताव उक्त अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की तारीख करीब आने के समय प्राप्त होती है। दूसरी ओर सरकार आगामी 26 नवंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र में भ्रष्टाचार निरोधी तीन महत्वपूर्ण विधेयक मंजूर कराने की इच्छुक है। यह विधेयक व्हिसलब्लोअर्स सुरक्षा, भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन और लोकपाल से जुड़े हैं।

डीओपीटी ने अपने ताजा दिशा निर्देश में कहा है कि मंत्रालयों या विभागों की ओर से प्रस्ताव भेजने में देरी के कारण कैडर नियंत्रण प्राधिकार को अक्सर प्रस्ताव की जांच पूरा करने और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति से पहले अनुशासनात्मक प्राधिकार से मंजूरी प्राप्त करने में कठिनाई पेश आती है। सरकारी संगठनों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक शाखा के रूप में काम करने वाले संबंधित मंत्रालयों के मुख्य सतर्कता अधिकारी आइएएस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के संबंध में इन मामलों की मासिक आधार पर समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग एक साल के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनका ब्योरा तिमाही रिपोर्ट में होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक समारोह में कहा था कि असंतोषजनक प्रदर्शन और लोक सेवा प्रदान करने में देरी के कारण 45 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को दंडित किया गया है। सभी केंद्र सरकार के मंत्रालयों को जारी दिशानिर्देश में डीओपीटी ने कहा है कि उन सभी मामलों में जहां मंत्रालय ने भारत सरकार के अधीन आइएएस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्णय किया है, इनके बारे में सीवीसी से प्रथम स्तर का सुझाव प्राप्त होने के तीन महीने के भीतर कैडर नियंत्रण प्राधिकार को प्रस्ताव भेज दिए जाएं।

दूसरी ओर कार्मिक मामलों के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को कहा कि लोकपाल विधेयक प्रवर समिति के विचाराधीन है और सरकार ने पिछले सत्र के दौरान राज्यसभा में लगातार सात दिन तक भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन संबंधी विधेयक सूचीबद्ध किया, लेकिन इसे नहीं लिया गया। सिंह ने कहा- मैं इसके कारणों में नहीं जाऊंगा, लेकिन मैं यह कहने का प्रयास कर रहा हूं कि हम पीछे नहीं हटे हैं। हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं हैं और हम 26 नवंबर को आगामी सत्र में इन विधेयकों को आगे बढ़ाने वाले हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के दौरान सरकार चाहती है कि इससे अधिकारियों को बिला वजह भयभीत न किया जाए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन के जरिए सरकार सभी स्तर के अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करना चाहती है।

उन्होंने कहा- हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन कानूनसम्मत कार्रवाई करेंगे। सीबीआइ और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के 21वें वार्षिक सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि सरकार सीसीटीएनएस को मार्च 2017 तक पूरा कर देगी, जिसे 2009 में शुरू किया गया था। लेकिन पिछले छह साल में इसमें अधिक प्रगति नहीं हो पाई, कारण भले कुछ भी रहा हो। उन्होंने कहा कि सरकार सीबीआइ की स्वतंत्रता और स्वायत्तता बनाए रखने के प्रति वचनबद्ध है ताकि एजंसी को उसकी पूरी क्षमता के साथ काम करने का माहौल प्रदान किया जा सके।