भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पिछले साल दिए गए सरकारी लंच का बढ़ा हुआ बिल दिए जाने के मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। इससे सरकारी खजाने पर तकरीबन 11 लाख रुपए का खर्च आया। इस आरोप का सत्तारूढ़ आप ने खंडन किया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रधान सचिव (वित्त) के साथ मामले में सच्चाई को दबाने के लिए साजिश रची। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भाजपा चाहती है कि उपराज्यपाल न्यायिक जांच का आदेश दें जो एक निश्चित समय-सीमा के भीतर कराई जानी चाहिए। इसमें शामिल मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। मेन्यू के विवरणों का भी खुलासा किया जाना चाहिए।’ सिसोदिया के इस दावे से भी भाजपा की राय नहीं बदली कि भुगतान से संबंधित किसी भी फाइल को उन्होंने कभी मंजूरी नहीं दी। गुप्ता ने कहा कि लंच का आयोजन किया गया और खाना खाया गया, इसलिए आप के स्पष्टीकरण का कोई मतलब नहीं है।

सिसोदिया ने शनिवार को दावा किया था, ‘13000 रुपए प्रति प्लेट के हिसाब से कथित भोजन का बिल मुझे एक साल पहले मंजूरी के लिए अधिकारियों ने भेजा था, लेकिन मैंने उसे कभी मंजूरी नहीं दी। फाइल तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग के कार्यालय में पिछले छह महीने तक रही। ऐसा लगता है कि उपराज्यपाल के कार्यालय ने उसे अब भाजपा के दबाव में लीक किया है।’ वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने केजरीवाल पर शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए हमला किया। पात्रा ने कहा, ‘रिपोर्ट में साफतौर पर रेखांकित किया गया है कि केजरीवाल के रिश्तेदार निकुंज अग्रवाल को सभी मानदंडों का उल्लंघन करके स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का ओएसडी नियुक्त किया गया।