सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को दिल्ली नगर निगम की ओर से टोल वसूलने वाली कंपनी एसएमवाईआर कसोर्टियम एलएलपी की याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया। यह कंपनी चाहती है कि एकत्र उपकर की राशि में आई कथित कमी की वजह से उसकी बैंक गारंटी भुनाने से नगर निगम को रोका जाए। मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति आर भानुमति के पीठ ने कंसोर्टियम से कहा कि इस याचिका की प्रति न्याय मित्र और नगर निगम के वकील पर तामील की जाए। अदालत इस मामले में अगले गुरुवार को सुनवाई करेगी।

इस कंपनी की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर पर्यावरण हर्जाना शुल्क लगाने संबंधी अदालत के आदेश के कारण ऐसे वाहनों की संख्या में 30 फीसद की कमी आ गई है और इस वजह से एकत्र टोल राशि में भी कमी हो गई है। उन्होंने इस मामले में शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि टोल में आई गिरावट के आधार पर नगर निगम कंसोर्टियम की बैंक गारंटी भुनाने जा रहा है। इससे पहले कंसोर्टियम ने अदालत में आरोप लगाया था कि उसका पक्ष सुने बगैर ही नगर निगम के टोल के अलावा उस पर अदालत के निर्देशानुसार पर्यावरण हर्जाना शुल्क वसूलने की भी जिम्मेदारी उसे दी गई है।

इस कंपनी के इस अनुरोध पर अदालत ने विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि वह अपने आदेश में एक शब्द भी नहीं बदलेगी। अदालत ने 12 अक्तूबर को दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर एक नवंबर से प्रयोग के रूप में सात सौ रुपए से लेकर 1300 रुपए तक का पर्यावरण हर्जाना शुल्क लगाने का आदेश दिया था।