सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्र से मुंबई के 31 मंजिला विवादित आदर्श अपार्टमेंट्स का कब्जा हासिल करने और उनकी रक्षा करने को कहा। कोर्ट ने इमारत ढहाने के बंबई होई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विभिन्न पक्षों को नोटिस जारी किए। केन्द्र ने अदालत को आश्वासन दिया कि इमारत को ढहाया नहीं जाएगा। केन्द्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने पीठ को आश्वासन देते हुए कहा, ‘हम इमारत तथा भूमि की रक्षा करेंगे और कुछ भी ढहाया नहीं जाएगा।’ कुमार ने आश्वासन तब दिया जब आदर्श काओपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की ओर से पेश वकील ने उच्च न्यायालय के ढहाने के आदेश पर रोक की मांग की।
न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से यह सुनिश्चित करने को कहा कि या तो वह या उनके द्वारा नामित रजिस्ट्रार पांच अगस्त या उससे पहले इमारत का कब्जा हासिल करने की प्रक्रिया की निगरानी करे। पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से यह सुनिश्चित करने करने को कहा कि सोसायटी से जुड़े सभी दस्तावेज और रिकार्ड की सूची बनाई जाए और उन्हें साथ में उस समय हाउसिंग सोसायटी को सौंपा जाए जब मिलिट्री एस्टेट के निदेशक या उनकी ओर से नामित कोई व्यक्ति इमारत पर कब्जा हासिल करे। पीठ ने कहा, ‘नोटिस जारी किये जाते हैं। कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जाएगा… इस तथ्य को छोड़ कर कि भारत सरकार आज से एक सप्ताह के भीतर संबंधित इमारत का कब्जा हासिल करे।’ बहरहाल, बाद में पीठ ने इमारत का कब्जा हासिल करने की समयावधि पांच अगस्त तक के लिए बढ़ा दी।
#FLASH Adarsh Housing society case: Court directs Centre to ensure that no demolition takes place while securing building.
— ANI (@ANI_news) July 22, 2016
इससे पहले, 29 अप्रैल को बंबई उच्च न्यायालय ने आदर्श अपार्टमेंट्स को अवैध रूप से बनी इमारत बताते हुए इसे ढहाने का आदेश दिया था और शक्तियों का ‘दुरूपयोग’ करने वाले नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के लिए कहा था। आदर्श हाउसिंग सोसायटी द्वारा दायर एक याचिका पर बाद में खंडपीठ ने इमारत को ढहाने के आदेश पर 12 हफ्ते तक रोक लगाई थी ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सके।
Read Also: आदर्श घोटालाः इमारत गिराने का आदेश कांग्रेस के लिए बड़ा झटका, जानें क्या है पूरा मामला ?
खंडपीठ ने अपने आदेश में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से याचिकाकर्ताओं :आदर्श सोसायटी: के खर्चे पर ढहाने की कार्रवाई करने को कहा था। उच्च न्यायालय ने केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार से योजना के तहत भूखंड पाने के लिए शक्तियों को दुरूपयोग करने के लिए नौकरशाहों, मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ दीवानी और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने पर विचार करने को भी कहा। यह योजना मूलत: करगिल युद्ध से जुड़े जवानों और शहीदों की पत्नियों के लिए थी। वर्ष 2010 में आदर्श घोटाले का खुलासा होने के बाद इसने राजनीतिक हलकों में भूचाल ला दिया था जिसके कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा था।