लड़की का अपहरण करने एवं जबरन शादी कर उससे बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को दस साल की कैद की सजा सुनाई गई है। इस अपराध में सहयोग करने वाली महिला को भी अदालत ने इतनी ही सजा सुनाई।

नदीम खान (34) और मरजीना (38) को दस दस साल की कैद की सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि यौन हिंसा न केवल महिला के निजता के अधिकार एवं गरिमा पर गैरकानूनी हमला है बल्कि उसके सम्मान पर गंभीर प्रहार है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम सी गुप्ता ने कहा कि यह (यौन हिंसा) उनके विवेक पर दर्दनाक और अपमानजनक असर डालता है क्योंकि उसके आत्मसम्मान और मर्यादा पर प्रहार है। सामान्यत: यौन हिंसा की पीड़िता जनता या पुलिस तो दूर, यहां तक अपने परिवार के सदस्यों के सामने भी ऐसे अपराध का खुलासा नहीं करना चाहती है क्योंकि उसमें उसकी और उसके परिवार की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है।

अदालत ने नदीम और मरजीना महिला को शादी करने के वास्ते बाध्य करने के लिए उसका अपहरण करने का दोषी पाया। नदीम को उससे बलात्कार करने और जहरीला पदार्थ देकर उसे नुकसान पहुंचान का दोषी पाया गया जबकि मरजीना पीड़िता के साथ हुई वारदात में सहयोग पहुंचाने का दोषी पाया गया। नदीम और मरजीना का पीड़िता से परिचय था। अदालत ने नदीम और मरजीना पर क्रमश: 35000 रुपए और 25000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।

अभियोजन के अनुसार 19 जून, 2012 को मरजीना पीड़िता के घर पहुंची और उसने उसे इस बहाने पर अपने साथ ले आई कि चूंकि उसने बोर्ड की परीक्षा में अच्छे नंबर हासिल किए हैं अतएव शिक्षक ने उसे बुलाया है। मरजीना उसे स्कूल ले जाने के बजाय यहां सुलतानपुरी के एक मकान में ले गई। वहां नदीम दो अन्य व्यक्तियों के साथ मौजूद था। उन सभी ने पीड़िता को शादी के लिए बाध्य किया।

पीड़िता की नदीम से जबरन शादी कराई गई। पीड़िता को कोई नशीली चीज पिलाई गई जिससे वह बेहोश हो गई। उसके बाद नदीम ने उससे बलात्कार किया। होश आने पर लड़की को सारी बात मालूम हुई। मौका मिलने पर वह वहां से भाग कर अपने घर पहुंची थी।