दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में उमर खालिद और शहला राशीद को बुलाने के मामले ने बुधवार को हिंसक रूप ले लिया। कॉलेज के एक कार्यक्रम में जेएनयू के इन दोनों लोगों को बुलाने के विरोध में मंगलवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने रामजस कॉलेज में काफी हंगामा किया था जिसके कारण वे दोनों कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सके। एबीवीपी के इस हंगामे के विरोध में बुधवार को एसएफआइ, आइसा समेत विभिन्न छात्र दलों ने बुधवार को विरोध मार्च निकाला जिसके खिलाफ एबीवीपी के कार्यकर्ता खड़े हो गए और मामला हिंसक हो गया। आरोप है कि एबीवीपी कार्यकर्ताओं की हुई पत्थरबाजी में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर प्रशांत मुखर्जी घायल हो गए, जिन्हें हिंदूराव अस्पताल ले जाया गया। झड़प के कारण एक महिला पत्रकार सहित कई छात्रों को चोटें आई हैं। स्थिति संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। डीयू की पूर्व छात्रा और आॅनलाइन न्यूज साइट के लिए काम कर रहीं अपूर्वा चौधरी ने कहा, ‘मेरा दोस्त विरोध प्रदर्शन की शूटिंग कर रहा था तभी एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने उसके हाथ से कैमरा गिरा दिया। तब कैमरे को उठाकर मैं शूटिंग करने लगी। तभी पीछे से मोटरसाइकिल से कुछ लड़के आए और उन्होंने मेरे बाल खींचे और हाथ से कैमरा खींच कर तोड़ दिया’। अपूर्वा का आरोप है कि यह सब हरकत पुलिसकर्मियों के सामने हुई, लेकिन उन्होंने हमलावरों को हिरासत में लेने की बात तो दूर, उन्हें रोकने की भी कोशिश नहीं की। वेबसाइट ‘द क्विंट’ की महिला पत्रकार तरुनी कुमार को भी हाथापाई में चोट लगी है। सुव्रिता खत्री, मौसमी बोस, आभा देव हबीब, सैकत घोष सहित डीयू के अन्य शिक्षकों के साथ भी हाथापाई की गई।
घटनास्थल पर मौजूद श्रीराम कॉलेज आॅफ कॉमर्स के प्रोफेसर संजय बोहेदार ने आरोप लगाया, ‘एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से हिंसा की वह ऐसा लग रहा था कि प्रायोजित थी। पुलिस ने एबीवीपी के कुछ लोगों को तो कॉलेज के बाहर रोक लिया लेकिन कुछ को अंदर जाने दिया। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों की पिटाई की। मदद मांगने पर पुलिस का रवैया बहुत गैरजिम्मेदाराना था। रामजस में फंसे छात्रों और शिक्षकों से पुलिस ने कहा कि हम आपको बाहर निकले का सुरक्षित रास्ता दे सकते हैं। उसके बाद आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं है। बाद में डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण के हस्तक्षेप से दो वैन निकाले गए और छात्रों को मेट्रो स्टेशन तक छोड़ा गया। आरोप है कि रामजस कॉलेज के अंदर चार शिक्षिकाओं के साथ भी हाथापाई की गई। बताते चलें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज की साहित्य सोसाइटी ‘वर्डक्राफ्ट’ की ओर से दो दिवसीय सेमिनार ‘प्रदर्शन की संस्कृति’ में उमर खालिद और शहला राशिद को संबोधन के लिए बुलाया गया था। लेकिन यह आमंत्रण एबीवीपी और छात्र संघ के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद मंगलवार को रद्द कर दिया गया। खालिद उन छात्रों में शामिल हैं जिन पर पिछले साल एक कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाने का आरोप है। संसद हमला मामले के दोषी आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप उमर खालिद पर था। वहीं शहला राशिद जेएनयू छात्र संघ की पूर्व सदस्य हैं और छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन चलाने में शामिल थीं।
मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता बाहर इकट्ठा होकर नारे लगाने लगे थे। इन छात्रों की मांग थी कि ‘देशद्रोहियों’ को बुलाने का निमंत्रण रद्द किया जाए। सेमिनार के आयोजकों का दावा है कि एबीवीपी के सदस्यों ने पत्थर फेंके, सेमिनार कक्ष को बंद किया और बिजली आपूर्ति काट दी।
रामजस कॉलेज के प्रधानाध्यापक राजेंद्र प्रसाद ने कहा था, ‘हालांकि सेमिनार चलेगा लेकिन हमने इन छात्रों की भागीदारी रद्द कर दी है। ऐसा नहीं है कि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत नहीं करते हैं। लेकिन कैंपस की शांति का ख्याल रखते हुए ही ऐसा किया जा सकता है’। वहीं पुलिस अधिकारियों का दावा है कि वे कैंपस में उपिस्थत थे और हिंसा की कोई घटना नहीं हुई।एबीवीपी के नेता साकेत बहुगुणा का कहना है कि रामजस कॉलेज में बहुत से छात्र एबीवीपी समर्थक हैं और उन्होंने हमसे संपर्क कर कहा था कि हम देशद्रोही नारे लगाने वालों को कॉलेज परिसर में नहीं आने देंगे। मंगलवार को वामपंथी समूहों ने राजमस में देशद्रोही नारे लगाए जो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। और हम विरोध क्यों न करें। जब योगगुरु रामदेव आते हैं, सुब्रह्मण्यम स्वामी आते हैं तो कम्युनिस्ट उन्हें बोलने नहीं देते। पहले इन्होंने जेएनयू में जो साजिश रची अब वही साजिश डीयू में भी रचना चाहते हैं और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। साकेत बहुगुणा ने आरोप लगाया कि बुधवार को हुए प्रदर्शन में पुलिस के लाठीचार्ज के कारण एबीवीपी के 30 कार्यकर्ता घायल हुए हैं। वहीं एसफआइ के सुनंद सिंह ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने पत्थर और शीशे की बोतलों से हमला किया, लेकिन हम अपने विरोध प्रदर्शन के लक्ष्य मॉरिस नगर थाने तक पहुंचे और अपना विरोध जाहिर किया। आइसा के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि रामजस में छात्रों को भीतर बंद कर दिया गया था और बाहर आने की कोशिश कर रहे लोगों को एबीवीपी के ‘गुंडे’ पीट रहे थे। हमने कॉलेज के भीतर दाखिल होने की कोशिश की ताकि छात्रोें को छुड़ाया जा सके, तब उन्होंने हम पर भी हमला किया। वे हॉकी स्टिक से लैस होकर आए थे।
