विधायक मनोज कुमार की गुरुवार को गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के कई विधायकों पर दिल्ली पुलिस शिकंजा कसने की तैयारी में है। इनमें पहला नाम मॉडल टाउन के विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी का है। मॉडल टाउन पुलिस दंगा उकसाने समेत कई मामलों में आने वाले दिनों में रोहिणी कोर्ट के न्यायाधीश राजेंद्र कुमार की अदालत में चार्जशीट दाखिल करने वाली है। वहीं जमीन खरीद में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किए गए आप विधायक मनोज कुमार क ो शुक्रवार को राजधानी के लालबहादुर शास्त्री अस्पताल (एलबीएस) में भर्ती कराया गया जहां उनके स्वास्थ्य की जांच की गई।

खून में शर्करा की मात्रा बढ़ने व सिरदर्द की शिकायत के साथ उन्हें गुरुवार की रात एलबीएस लाया गया था। कड़ी सुरक्षा के बीच यहां भर्ती मनोज ने जनसत्ता के एक सवाल पर कहा कि उन्हें राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज मामले के बारे में पार्टी को भी बताया गया था और चुनावी हलफनामों में भी इसकी जानकारी दी गई थी। बाद में मनोज को एलबीएस से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया। जांच के बाद एम्स के डॉक्टरों ने शुक्रवार को कहा कि मनोज को भर्ती करने की जरूरत नहीं है और उन्हें छुट्टी दे दी। इसके बाद पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए ले गई।

पुलिस हिरासत में भेजे जाने के कुछ ही देर बाद कुमार ने उच्च रक्तचाप के कारण सिर और सीने में दर्द की शिकायत की थी। संयुक्त आयुक्त (पूर्वी क्षेत्र) संजय बेनीवाल ने कहा कि उन्होंने तबीयत खराब होने की शिकायत की जिसके बाद उन्हें गुरुवार रात करीब नौ बजे एलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। एलबीएस के डाक्टरों ने बताया कि कुमार का रक्तचाप व रक्त शर्करा स्तर बहुत बढ़ा हुआ था।

एलबीएस के वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने सिरदर्द, छाती दर्द और घबराहट की शिकायत की जिसके बाद उनके कई परीक्षण किए गए। उन परीक्षणों में ईसीजी और ट्रोपोनिन टी टेस्ट है जो मुख्यत: हृदयाघात का पता लगाने के लिए किया जाता है। लेकिन हृदयाघात के लक्षण नहीं मिले। डॉक्टरों ने बताया कि शुक्रवार सुबह साढ़े दस बजे उन्हें यहां से आगे की जांच के लिए रेफर कर दिया गया क्योंकि कुमार लगातार सिरदर्द की शिकायत कर रहे थे।

आप विधायक के इक्के-दुक्के समर्थक ही एलबीएस पहुंच रहे थे। लेकिन कड़े पहरे में यहां के वार्ड नंबर चार में भर्ती कुमार को किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा था। पुलिस की कड़ी चौकसी के अलावा यहां दमकल की गाड़ियां भी मौजूद थीं। पुलिस का कहना था कि आप के समर्थक यहां विरोध प्रदर्शन न करें इसलिए हमने ये तैयारियां कर रखी थीं।

सूत्रों का कहना है कि मनोज कुमार इस इलाके के विधायक होने के नाते एलबीएस के अध्यक्ष भी हैं। यहां रह कर वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं। इस आशंका से उन्हें यहां से हटाना जरूरी था। सूत्रों ने बताया कि कुमार की रिपोर्ट के बार में उपराज्यापाल ने भी अस्पताल प्रशासन से बात की थी।

विधायक के समर्थकों का कहना था कि 2012 में प्रॉपर्टी के काम के सिलसिले में मामला दर्ज हुआ था, बाद में उस पर समझौता हो गया था। लेकिन उसी अधार पर नया मामला 2014 में दर्ज किया गया। आप नेता ने एक सवाल के जवाब में दावा किया कि उन्होंने पार्टी को इस बारे में बता दिया था।

आप समर्थकों ने आरोप लगाया कि व्यापमं से ध्यान भटकाने के लिए आप विधायकों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि आप के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर मनोज सही हैं तो पार्टी उन्हें वकील मुहैया कराएगी। अगर वे दोषी हैं तो उनके बचाव में नहीं खड़ी होगी। हालांकि तोमर के मामले में धोखा खा चुकी पार्टी के बड़े नेता इस बार सतर्कता बरते हुए मनोज से दूरी बनाए हुए हैं। अस्पताल में कोई भी बड़ा नेता नजर नहीं आया। कुमार को धोखाधड़ी व जमीन हथियाने के मामले में गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

(प्रतिभा शुक्ल)