दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को यहां की अदालत ने एक बिल्डर को वैकल्पिक भूखंड आवंटित करने और मुआवजा देने को कहा है। जिसे उसके भवन से अवैध तरीके से बाहर कर दिया गया था। उस भवन को गिराकर सड़क का निर्माण किया गया। इसके अलावा अदालत ने डीडीए से कहा कि वह बिल्डर को क्षतिपूर्ति के तौर पर दो लाख रुपए का भुगतान करे। बिल्डर इस बात को साबित करने में सफल रहा कि मध्य दिल्ली के गुड़मंडी इलाके में उसकी जमीन थी। जहां तोड़-फोड़ की गयी।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कामिनी लाउ ने कहा कि चूंकि तोड़फोड़ दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर की गयी क्योंकि सड़क का निर्माण जनहित में जरूरी था इसलिए याचिकाकर्ता मेसर्स सीमा बिल्डर्स जमीन के लिए मुआवजे का हकदार है। लाउ ने कहा कि चंूकि याचिकाकर्ता को भूमि लौटाई नहीं जा सकती।
इन परिस्थितियों में मैं कहती हूं कि याचिकाकर्ता ने जो वैकल्पिक प्रार्थना यानि डीडीए और अन्य संबद्ध प्राधिकारों को जमीन का अधिग्रहण कानून के अनुसार करने और तोड़फोड़ के समय बाजार में प्रचलित दर के अनुसार मुआवजे का भुगतान करने के साथ अगर कोई वैकल्पिक भूखंड दिया जा सकता हो तो वह उसे पाने का हकदार है। बिल्डर ने तीन सितंबर 2002 को एक वाद दायर कर आरोप लगाया था कि डीडीए अधिकारी और पुलिस ने बलपूर्वक उसकी संपत्ति के भीतर अवैध तरीके से घुसे और उसके गोदाम, कमरों और जमीन के अन्य हिस्से को ध्वस्त कर दिया।
मृतक के परिजनों को 22 लाख का मुआवजा देने का आदेश : मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने सड़क दुर्घटना में मरे 30 साल के व्यक्ति के परिवार को 22.12 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। अनंत सिंह को दो अपै्रल 2013 की दुर्घटना में गहरी चोटें आई थीं। न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी आरपीएस तेजी ने पीड़ित परिवार के पक्ष में फैसला देते हुए दुर्घटना में शामिल ट्रक का बीमा करने वाली टाटा एआइजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. को 22,12,500 रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया।
हालांकि बीमा कंपनी के इस दावे को स्वीकार किया कि दुर्घटना में पीड़ित की ओर से भी लापरवाही हुई थी। इस दुर्घटना में शामिल ट्रक के चालक ने अचानक ब्रेक लिया था और पीड़ित की गाड़ी उस ट्रक के पीछे थी। न्यायाधिकरण ने सौंपे गए दस्तावेजों पर भरोसा करते हुए कहा कि पीड़ित भी काफी तेज गति से कार चला रहा था। इसी वजह से वह अपने वाहन पर नियंत्रण नहीं रख सका। न्यायाधिकरण ने आरोपी ट्रक चालक को दोषी ठहराते हुए दुर्घटना के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार माना।
पीड़ित के परिवार की ओर से दाखिल याचिका के में परिवार के सदस्यों ने पांच करोड़ रुपए की मांग करते हुए न्यायाधिकरण में यचिका दायर की थी। चालक-सह-मालिक ने लापरवाही से वाहन चलाने की बात से इंकार किया। बीमा कंपनी ने पुष्टि की कि ट्रक बीमित था। लेकिन उसने दलील दी कि आरोपी चालक और पीड़ित दोनों ओर से लापरवाही बरती गई।