Vadodara Gambhira Bridge News: गुजरात के वडोदरा में गंभीरा ब्रिज का टूटना सभी को हैरान कर गया है। कई परिवार उस हादसे में तबाह हो चुके हैं, ऐसा ही एक परिवार सोनल का है जहां 6 लोगों की मौत हो चुकी है। घर में लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है, उम्मीद की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही और सरकार द्वारा दिया गया मुआवजा काफी नहीं लग रहा है।
सोनल का परिवार तबाह
सोनल पधियार ने इस ब्रिज हादसे में अपने पति रमेश, बेटी वेदिका, बेटा नैतिक को खो दिया है। इसके अलावा रमेश के जीजा वखत सिंह जादव, हसमुंख परमार और प्रवीन जादव की भी मौत हुई है। अब जिस परिवार के इतने सारे सदस्यों की एक साथ मौत हो गई हो, वहां का हाल कैसा होगा, यह समझना ज्यादा मुश्किल नहीं। सिर्फ आंसू ही बह रहे हैं, दर्द की चीखें सुनाई दे रही हैं और प्रशासन के प्रति अप्रत्याशित नाराजगी दिखाई पड़ती है।
बुजुर्ग पिता और दुखों का पहाड़
सोनल बस रोते-रोते लगातार पूछ रही है- अब मैं ये जिंदगी कैसे काटूंगी, इस दर्द के साथ कैसे जी पाऊंगी। मेरा बच्चा चला गया, मेरा पति चला गया, मेरी बेटी भी मर गई। अब सोनल टूट चुकी है तो रमेश के पिता राजीवभाई भी बुजुर्ग अवस्था में इस दर्द से उबर नहीं पा रहे हैं। वे बस इतना कह रहे हैं कि रमेशा मेरा इकलौता बेटा था, उसका बेटा भी काफी मन्नतों के बाद हुआ था। मेरी पत्नी भी सदमे की वजह से अस्पताल में भर्ती है। मैं तो अभी रो भी नहीं सकता,मेरी बहू खुद जख्मी है।
भविष्य को लेकर सबसे बड़ा संकट
अभी के लिए सोनल को भी वापस अस्पताल में भर्ती करवाने की तैयारी है। उसे खुद कई चोटें आई हैं, वो सिर्फ पति-बच्चों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए घर आई थी। रमेश के भाई अर्जुन पधियार खुद अपने परिवार को लेकर अब काफी चिंतित हैं, उन्हें भविष्य की अभी से ही चिंता सताने लगी है। वे बताते हैं कि हमारे परिवार से सबकुछ छीन लिया गया है। 6 सदस्य जा चुके हैं, यहां भी दो बच्चे हैं और बाकी चार पुरुष सदस्य। रमेश के पीछे उसकी तीन बेटियां हैं, उनकी उम्र में तीन से छह साल के बीच है। सोनल अकेले कैसे देखेगी सबकुछ।
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मुआवजे से खुश नहीं है परिवार
अर्जुन के मुताबिक उनके परिवार से ये सभी सदस्य एक खेत में मजदूर के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन अब कोई नहीं बचा है। अर्जुन को अब रमेश के पिता की भी चिंता होने लगी है, उन्हें दो बार हार्ट अटैक पहले ही आ चुका है, अब इस सदमे से उबर पाना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। वैसे राज्य सरकार ने इस हादसे के बाद मृतकों के परिवार को दो लाख रुपये की सहायता का ऐलान किया है। लेकिन अर्जुन मानते हैं कि यह काफी नहीं है। प्लेन क्रैश में मारे गए लोगों के परिवारों को जितना मिला था,उसकी तुलना में अब कुछ नहीं दिया जा रहा। वे मानते हैं कि गरीब लोगों की जिंदगी की किसी को कुछ नहीं पड़ी है।
तीर्थ यात्रा पर गया था परिवार
वैसे रमेश के पिता राजीवभाई तो बताते हैं कि 2021 से ही उस ब्रिज को लेकर चिट्ठियां लिखी जा रही थीं। सभी जानते थे कि मरम्मत की जरूरत है, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि इस तरह से हादसा होगा और दुखों का इतना बड़ा पहाड़ एक ही परिवार पर टूट पड़ेगा। दुखख ज्यादा बड़ा इसलिए भी है क्योंकि सोनल का परिवार तो मौजपुर से अपनी ईको गाड़ी में भावनगर के लिए निकले थे। अपने बेटे नैतिक के पैदा होने की खुशी में तीर्थ यात्रा के लिए गए थे। सिर्फ गाड़ी सिर्फ पांच किलोमीटर ही चल पाई थी और गंभीरा ब्रिज टूट गया।
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Aditi Raja की रिपोर्ट