Folk Singher Neha Singh Rathaur: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में समाज के तमाम वर्गों के लोग शामिल हो रहे हैं। जबसे यात्रा शुरू हुई है, तबसे अब तक काफी लोग राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ पदयात्रा में कदमताल किए। बुधवार को जब उनकी यात्रा बागपत (Baghpat) से शामली (Shamli) की ओर बढ़ी तो उसमें लोक गायिका नेहा सिंह राठौर (Neha Singh Rathau) भी शामिल हुईं।
कहा- यात्रा सकारात्मक, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बारे में नहीं बोलेंगे
इस दौरान उन्होंने कहा, “यात्रा काफी सकारात्मक है और लोगों का समर्थन भी मिल रहा है, लेकिन यह यात्रा सत्ता परिवर्तन के लिए है, यह नहीं कह सकती हूं। यह आम जनता तय करेगी।” उन्होंने कहा कि यात्रा में आने का उद्देश्य सिर्फ गीतों के माध्यम से जनता की बात उनके तक पहुंचानी है। नेहा सिंह राठौर ने कहा,”राहुल गांधी की यात्रा को देखने के लिए काफी लोग आए हैं। उनकी यात्रा के साथ लोग जुड़ रहे हैं, लेकिन मैं यात्रा का हिस्सा नहीं हूं, केवल उनसे मिलने और देखने और जनता की बात पहुंचाने आई हूं।”
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस ने पहली बार विचारधाराओं की लड़ाई को पहचाना है और पार्टी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से आज विचारधारा की वह लड़ाई लड़ी जा रही है, जो कई साल पहले लड़ी जानी चाहिए थी। उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली जाने वाली अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ‘विभाजनकारी’ विचारधारा से मुकाबले का जरिया करार देते हुए कहा कि यह यात्रा कोई ‘इवेंट’ नहीं, बल्कि एक ‘मूवमेंट’ है, जो जारी रहेगा।
गुरुवार को संवेदनशील कैराना से होकर गुजरेगी यात्रा
कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शामली (उत्तर प्रदेश) के ऐलम गांव में रात्रि विश्राम के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में गुरुवार सुबह छह बजे फिर शुरू हुई। घने कोहरे और ठिठुरन भरी सर्दी के बीच अपनी अगली मंजिल की तरफ रवाना हुई इस यात्रा में जन समूह की व्यापक भागीदारी देखने को मिली। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग राहुल की तस्वीर छपी सफेद टी-शर्ट पहने नजर आए। राहुल एक बार फिर अपनी चर्चित सफेद टी-शर्ट में यात्रा करते दिखे। कांग्रेस द्वारा जारी कार्यक्रम के मुताबिक, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ गुरुवार को सांप्रदायिक लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले कैराना से भी होकर गुजरेगी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कैराना से बहुसंख्यक समुदाय के लोगों का पलायन एक बड़ा मुद्दा बना था।