बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को मनाने में बीजेपी को काफी मुश्किल आ रही है। बीजेपी के तमाम बड़े नेता कई बार चिराग पासवान से मिल चुके हैं और दावा किया जा रहा है कि एनडीए के भीतर सब कुछ ठीक-ठाक है और बहुत जल्द ही सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया जाएगा।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) क्या चाहती है? आखिर विवाद किस बात का है और सीटों के बंटवारे में इतना वक्त क्यों लग रहा है, इसे समझने की कोशिश करते हैं।
विवाद इस बात का है कि चिराग पासवान ऐसी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं जिन पर पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू को जीत मिली थी।
ऐसी सीटों में बेगूसराय की मटिहानी विधानसभा सीट है। इस सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में अविभाजित एलजेपी के टिकट पर राजकुमार सिंह जीते थे। बाद में राजकुमार सिंह जेडीयू में शामिल हो गए। ऐसी ही एक सीट खगड़िया जिले की अलौली और परबत्ता भी है। परबत्ता में जेडीयू को जीत मिली थी जबकि अलौली में उसका उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा था।
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महनार सीट से है उमेश कुशवाहा की दावेदारी
वैशाली जिले की राजापाकर और महनार सीट पर भी चिराग पासवान की पार्टी अपना दावा कर रही है लेकिन जेडीयू अपने प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को महनार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहती है। उमेश कुशवाहा यहां पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे थे और राजापाकर सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद नजदीक रहा था और बहुत कम वोटों के अंतर से जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा था।
ऐसी अन्य सीटों में समस्तीपुर जिले की कल्याणपुर और दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान सीट पर भी जेडीयू को जीत मिली थी। खबरों के मुताबिक, चिराग पासवान की पार्टी इन दोनों ही सीटों पर अपना दावा कर रही है।
जमुई जिले में दो विधानसभा सीटों चकाई और सिकंदरा पर भी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की नजर है।
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क्या चिराग तैयार होंगे?
चिराग पासवान इन सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी कर रहे हैं लेकिन जेडीयू का भी अपना दावा है। ऐसे में देखना होगा कि क्या बीजेपी चिराग पासवान को इस बात के लिए मना पाएगी कि वह कुछ ऐसी सीटों पर अपना दावा छोड़ दें जिन पर जेडीयू अपने बड़े नेताओं को चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन क्या चिराग इसके लिए तैयार होंगे?
यहां इस बात का भी जिक्र करना होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के बेहद खराब प्रदर्शन के पीछे चिराग पासवान को ही वजह माना गया था। हालत यह थी कि जेडीयू की सीटों का आंकड़ा 2015 में मिली 71 सीटों से गिरकर 43 पर आ गया था लेकिन इस बार चिराग एनडीए के साथ हैं।
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चिराग के पास पांच सांसद हैं, लोकसभा का चुनाव उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर लड़ा है और वह खुद भारत सरकार में मंत्री हैं। तय माना जा रहा है कि वह एनडीए के साथ ही रहेंगे लेकिन उनकी मान-मनौव्वल में बीजेपी को मुश्किल बहुत पेश आ रही है।
सहयोगी दलों से बीजेपी ही करती है बातचीत
बिहार बीजेपी के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि विपक्ष इस तरह की अफवाह फैला रहा है कि चिराग पासवान नाराज हैं और उन्हें मनाने के लिए केवल बीजेपी ही प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राजग में पहले से ही बीजेपी ही अन्य पार्टियों के नेताओं से बात करती रही है और यह पहली बार नहीं हो रहा है, ऐसा ही लोकसभा चुनाव के दौरान भी हुआ था। उन्होंने कहा कि राजग एकजुट है और इस बार सभी की भूमिका समान रहने वाली है, कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं होगा।
नीरज कुमार ने कहा कि हमारे बीच सीटों को लेकर कोई खींचतान नहीं है और एक-दो दिन में सीटों की पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी। राजग बिहार में भारी बहुमत से सरकार बनाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी महागठबंन में शामिल दलों ने अभी से ही एक दूसरे की टांग खींचना शुरू कर दिया है।
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