नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। अब मध्य प्रदेश में मौजूद नेशनल हेराल्ड की संपत्ति की जांच जाएगी कि इसका इस्तेमाल कमर्शियल तरीके से हुआ या नहीं। इस संपत्ति को लेकर गांधी परिवार पर आरोप है कि 1992 से यहां अखबार छपना बंद है और अब यहां विशाल मेगा मार्ट, मंगलम एवं लोटस सहित खुदरा ब्रांडों के आउटलेट चल रहे हैं।

राज्य के शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नेशनल हेराल्ड संपत्तियों की जांच की जाएगी और अगर इसमें पाया गया कि संपत्ति का व्यवसायिक तरीके से इस्तेमाल हो रहा था, तो इस संपत्ति को सील कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह भूमि स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर आवंटित की गई थी, जिसे बाद में कांग्रेस नेताओं के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया।

कोर्ट में कई मामलों का सामना कर रहा गांधी परिवार

गांधी परिवार नेशनल हेराल्ड से जुड़े कई मामलों का कोर्ट में सामना कर रहा है। इनमें अखबार की मशीनों की कथित चोरी, नवजीवन के छंटनी किए गए कर्मचारियों को मुआवजे का भुगतान न करना शामिल हैं। इसके अलावा, भोपाल विकास प्राधिकरण या बीडीए ने नेशनल हेराल्ड को पट्टे पर दी गई जमीन की लीज की अवधि को बढ़ाने से इनकार कर दिया गया है। इसका भी कोर्ट में गांधी परिवार सामना कर रहा है।

साल 1982 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को भोपाल में प्रेस कॉम्प्लेक्स में 1 लाख रुपए में 1.14 एकड़ जमीन पट्टे पर दी गई थी। इसमें एजेएल ने अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी का नवजीवन और उर्दू का कौमी आवाज अखबार प्रकाशित किया था।

1992 से बंद है अखबार का प्रकाशन

2011 में लीज की अवधि समाप्त होने पर बीडीए के अधिकारी साइट पर गए और पाया कि जमीन का इस्तेमाल कथित तौर पर समाचार पत्रों के प्रकाशन के बजाय व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि 1992 में समाचार पत्रों का प्रकाशन पहले ही बंद हो चुका था।

बीडीए ने आरोप लगाया कि एजेएल ने आवंटित भूमि के कुछ हिस्सों को अलग-अलग खरीदारों को बेच दिया और उन भूखंडों का स्वामित्व भी कई बार बदल गया। इसके बाद बीडीए ने लीज को रिन्यू करने से इनकार कर दिया। वर्तमान में यहां विशाल मेगा मार्ट, मंगलम एवं लोटस सहित खुदरा ब्रांडों के आउटलेट भी चल रहे हैं। बीडीए ने 2012 में लीज रद्द कर जमीन वापस लेने का नोटिस भेजा था।