नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र समूह की प्रकाशक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने अपने स्वरू प में बदलाव करते हुए गैर व्यावसायिक कंपनी बनने का फैसला किया है। यह निर्णय गुरुवार को हुई कंपनी के शेयर धारकों की विशेष आमसभा में लिया गया है। बैठक में गुलाम नबी आजाद, सैम पित्रौदा, आस्कर फर्नांडीज, शीला दीक्षित, संदीप दीक्षित, सलीम शेरवानी, रत्ना सिंह, जितिन प्रसाद और सिब्ते रजी ने भी हिस्सा लिया। एजेएल की स्थापना 1937 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी और इसके दैनिक समाचार पत्रों नेशनल हेरल्ड (अंग्रेजी), कौमी आवाज (उर्दू) और नवजीवन (हिंदी) ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था।

कंपनी के स्वरू प में बदलाव के लिए शेयर धारकों की सहमति के लिए विशेष आम सभा की तीन घंटे चली बैठक के बाद कंपनी के प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा ने संवाददाताओं को बताया कि शेयर धारकों ने कंपनी के स्वरूप को बदलते हुए इसे गैर व्यावसायिक स्वरू प प्रदान करने के लिए कई प्रस्तावों पर विचार के बाद अपनी सहमति प्रदान कर दी है। वोरा ने बताया कि आम सभा में एजेएल का नाम बदलने और इसके प्रकाशनों को पुन: शुरू करने का भी फैसला हुआ। यह पूछे जाने पर कि कंपनी के बंद प्रकाशन फिर कब से शुरू होंगे, वोरा ने कहा -हम 2010 से ही प्रकाशनों को पुन: शुरू करने के बारे में गंभीरता विचार करते रहे हैं। शेयर धारकों की विशेष आम सभा में लिए गए निर्णय उसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।

एजेएल की विशेष आम सभा के बैठक की नोटिस इसके प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा ने जारी की थी, जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत उन सात लोगों में शामिल हैं जिन्हें दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड मामले में तलब किया है। एजेएल के इस कदम को उन कथित गड़बड़ियों को ठीक करने की कवायद माना जा रहा है जिनके कारण दिल्ली की अदालत ने सोनिया, राहुल तथा अन्य को तलब किया है। नोटिस में कहा गया था कि कंपनी का बोर्ड पिछले चार साल से ज्यादा समय से यह विचार कर रहा है कि वित्तीय लाभ कमाना कंपनी का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। उसे अपने सदस्यों को मुनाफा या लाभांश बांटने के बजाय व्यापक जनहित में कार्य करना चाहिए।

गौरतलब है कि वोरा और कंपनी के अन्य निदेशकों ने 2010 में अपनी पूरी इक्विटी सोनिया और राहुल की बड़ी हिस्सेदारी वाली यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआइएल) नाम की नई कंपनी को कथित रू प से हस्तान्तरित किए जाने के बाद से एजेएल और उसके पदाधिकारी निशाने पर हैं। इनमें वोरा के अलावा आस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा व सुमन दुबे भी शामिल हैं। वाईआइएल कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक गैर-व्यावसायिक कंपनी है। उसे भी यह सुनिश्चित करना है कि उसके द्वारा काांए गए लाभ और अर्जित अन्य आय का इस्तेमाल सिर्फ कंपनी के उद्देश्यों की पूर्ति में होता है। ऐसी कंपनी भी अपने सदस्यों को लाभांश नहीं दे सकती।

वोरा ने कहा कि कंपनी के स्वरू प में किए गए बदलाव उन्हीं उद्देश्यों को आगे बढाÞने पर केंद्रित है, जिन्हें ध्यान में रख कर कंपनी की स्थापना की गई थी। आम सभा की कार्य सूची पर रहे अन्य मुद्दों के बारे में पूछने पर वोरा ने कहा कि कंपनी के नाम को बदलना भी एजंडे में शामिल था। वोरा ने बताया कि बैठक ने बहरहाल कंपनी का नाम एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की बजाय एसोसिएटेड जर्नल रखने का फैसला किया गया है। यह पूछे जाने पर कि आम सभा की बैठक में लिए गए फैसलों का नेशनल हेराल्ड को लेकर अदालत में चल रहे मामलों पर क्या प्रभाव पडेÞगा, वोरा ने कहा कि इसका उनसे कोई संबंध नहीं है।