राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (एनसीसी) ने एक बिल्डर को आदेश दिए हैं वह नवी मुंबई के व्यक्ति को 8.2 लाख रुपए में खरीदे गए फ्लैट का पजेशन न दे पाने के लिए 48 लाख का मुआवजा दे। दरअसल, मामला 25 साल पुराना है। यहां एक व्यक्ति ने 1000 स्क्वेर फीट के फ्लैट के लिए तब 8.2 लाख रुपए की राशि बिल्डर को दी थी। हालांकि, उसे कभी इस फ्लैट का पजेशन नहीं मिला। इसी मामले की सुनवाई करते हुए एनसीसी ने फ्लैट के खरीदार के पक्ष में फैसला सुनाया और उसे जमा राशि 8.2 लाख रुपए के साथ प्रतिवर्ष 11% ब्याज पाने का भी हकदार माना। इस लिहाज से अकेले ब्याज की राशि ही 39.4 लाख रुपए हो जाती है।
अपीलकर्ता का नाम आरके सिंहल बताया गया है। उन्हें कुल मिलाकर बिल्डर से 47.6 लाख रुपए मिलने हैं। कोर्ट ने बिल्डर को आदेश दिए हैं कि वह 45 दिन के अंदर जुर्माना राशि का भुगतान करे, वर्ना आगे उस पर इस आदेश की तारीख से पेमेंट की तारीख तक सालाना 6% जुर्माना लगाया जाएगा।
बताया गया है कि अपीलकर्ता सिंहल बिल्डर सुदृढ़ कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 2015 में ही राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग पहुंचा था। इसकी एक वजह राज्य उपभोक्ता का आदेश था, जिसमें कहा गया था कि सिंहल को मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन वे अब फ्लैट के हकदार नहीं हैं, जो कि 2014 में ही बन कर तैयार हुआ था। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले पर सहमति जताते हुए सिंहल की फ्लैट की मांग रद्द कर दी। हालांकि, कोर्ट ने बिल्डर पर छह गुना जुर्माना लगाया।
कोर्ट का कहना था कि 2001 में जब अपीलकर्ता ने शिकायत की थी, तब उसने सिर्फ अपने भरे हुए पैसों को बिल्डर से वापस लेने की मांग की थी। 2015 में पहली बार उसने अपनी अपील में बदलाव किया था और फ्लैट का पजेशन भी मांगा था। इसके चलते राज्य उपभोक्ता आयोग ने उनकी मांग को नहीं माना था। राष्ट्रीय आयोग ने भी उनकी मांग को ठुकरा दिया।