जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कश्मीर घाटी में नागरिकों की हत्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि वह प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री के रोजगार पैकेज की विफलता को व्यक्तिगत विफलता मानते हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हर चीज को उसके राजनीतिक फायदे और लागत के संदर्भ में नहीं तौला जाना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि हालांकि वर्तमान स्थिति उन्हें भाजपा को हराने का मौका दे सकती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में हर चीज को उसके राजनीतिक लाभ और लागत के संदर्भ में नहीं तौला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हैं जो इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और यह उनमें से एक है।
मेरी व्यक्तिगत विफलता: कश्मीर में हत्याओं के खिलाफ विरोध और हमलों से उन्हें बचाने में प्रशासन की विफलता के बाद, कई कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों ने भी घाटी छोड़ना शुरू कर दिया है। इस बारे में बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मैं उस सरकार का हिस्सा था जिसने पीएम रोजगार पैकेज लाया था और इसे लागू किया था। इसकी विफलता को मैं अपनी विफलता समझूंगा।”
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “हर एक कर्मचारी जो यहां से वापस जाता है, उसे मैं अपनी व्यक्तिगत विफलता मानता हूं। मैं वो आखिरी व्यक्ति हूं जो उन्हें विदा होते देखना चाहता था।” नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और कश्मीर प्रशासन ने दो बड़े कदम उठाए, “एक तरफ जहां कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा कि हम अपनी नौकरी लेंगे और छोड़ देंगे वहीं प्रशासन का कहना है कि हम आपको नहीं जाने देंगे, हम एक और प्रवास की सुविधा नहीं देने जा रहे हैं”।”
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा, “5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 को हटाने के बाद यह दावा किया गया था कि अनुच्छेद 370 ही आतंक, हिंसा, अलगाववाद का मूल कारण था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को सामान्य बनाने के लिए संविधान के इस हिस्से को हटाना आवश्यक था।” उन्होंने आगे कहा, “बहुत सारे लोगों ने इस तर्क को मान लिया लेकिन अब उसे हटाए लगभग तीन साल हो गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि जमीनी हकीकत यह नहीं है।”
आतंकवादियों की कोई रेड लाइन नहीं: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इन हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवादियों के लिए कोई रेड लाइन नहीं है और अगर है तो बहुत कम हैं। उन्होंने कहा, “उन्होंने निहत्थे नागरिकों पर हमला किया है, लेकिन उन्हें बच्चों को मारने में भी कोई संकोच नहीं है।” पूर्व सीएम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को सुरक्षित महसूस कराने की बड़ी जिम्मेदारी बहुसंख्यक समुदाय की भी है, हम सब इसमें एक साथ हैं।
विकास जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का जवाब नहीं: उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विकास कभी भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का जवाब नहीं रहा। उन्होंने कहा, “हर सरकार की अपनी खामियां होती हैं लेकिन ऐसी कोई सरकार नहीं होती जिसके बारे में आप यह कह सकें कि उन्होंने विकास के के नाम पर कुछ नहीं किया।” अब्दुल्ला ने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि बंदूकों वाला एक भी उग्रवादी पकड़े जाने पर कहेगा कि मैं इसलिए दुखी हूं क्योंकि मुझे अपने गांव तक सड़क नहीं मिली। उनके दिमाग में जो चला रहा है वह उससे कहीं अधिक गहरा है और यही वह है जिस पर हम चर्चा करने को तैयार नहीं हैं।”
इसके साथ ही उम्र अब्दुल्ला ने बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के बयानों पर भाजपा को घेरते हुए ट्विटर पर लिखा, “ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ भाजपा के प्रवक्ताओं को यह सीखने की जरूरत है कि स्थानीय श्रोताओं को लुभाने के लिए किए गए बयानों ने दुनिया के एक ऐसे हिस्से में भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाया है जो देश के लिए महत्वपूर्ण है।”