भारी बारिश के बीच साउथ ईस्ट दिल्ली के जैतपुर इलाके में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया, जब एक घर की दीवार गिरने से कई लोग मलबे में दब गए। इसमें दो बच्चों सहित सात लोगों की मौत हो गई। मृतकों में बेबी रुकसाना, बेबी हसीना, रबीउल, रुबीना, सफीकुल, मुत्तुस और डोली शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि एकमात्र जिंदा बचे हसीबुल का सफदरजंग हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
यहां पर रहने वाली मीना बीबी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, “आज हम सब घर पर ही रहे। झुग्गी में पानी भर गया था और हमें पूरी सुबह अपना सामान हटाने में लग गई। सब लोग अपने बिस्तरों पर बैठे थे, अपने पैर पानी से दूर रख रहे थे। तभी हमें अचानक टक्कर की आवाज सुनाई दी।” मीना बीबी आगे कुछ बोल ही नहीं पाईं। मीना और मेहर मुंशी ने अपनी बेटी रुबीना और पोती हसीना को इस हादसे में खो दिया।
झुग्गी के लोगों के मुताबिक, पिछली रात हुई बारिश की वजह से शनिवार सुबह कीचड़ और मिट्टी नीचे खिसक गई, जिससे दीवार भी गिर गई। झुग्गी के कुछ लोगों ने बचाव अभियान शुरू किया था। इन लोगों में अनवर का नाम भी शामिल था। उन्होंने कहा, “दीवार गिर गई। मुत्तुस अपनी बेटी के पास खड़ा था जब उसने उसे गिरते देखा। उसने अपनी बेटी को धक्का देकर हटा दिया, इससे पहले कि दीवार उस पर गिरे। उसके पैर पूरी तरह कुचल गए थे और वह मदद के लिए चिल्ला रहा था। इससे पहले कि हम उसे बाहर निकाल पाते, उसकी मौत हो गई।”
दिल्ली में भारी बारिश के बाद दीवार गिरी
परवीना ने रुकसाना को खो दिया
टक्कर की आवाज सुनकर आस-पास के घरों से लोग मदद के लिए दौड़े। पुलिस के आने से पहले अनवर ने उनकी मदद से सफीकुल को बाहर निकाला। मुत्तुस की बेटी मोयना एक झोपड़ी के कोने में चुपचाप बैठी थी, जबकि उसके आस-पास की महिलाएं रो रही थीं। वहीं तीन-चार महीने की गर्भवती परवीना ने अपने पति रबीउल और बेटी रुकसाना को खो दिया। उसका दुख चीख-चीख कर बाहर आ रहा था और वह उबकाई और खांसी ले रही थी।
मेरी दुनिया खत्म हो गई – परवीना
अपनी बेटी को खोने वाली परवीना दुख में टूट गई और उसने कहा, “मैं कैसे जीऊंगी? भगवान ने मुझे क्यों नहीं ले लिया? रुकसाना, मेरी जान।” वह रोते हुए कहती हैं, “मैं इस बच्चे को अकेले कैसे पालूंगी? वह दीवार गिर गई और मेरी दुनिया खत्म हो गई।” मीना और मुंशी परवीना के दरवाजे के पास ही खड़े रहे, इतने सदमे में कि रो भी नहीं पा रहे थे। उनका दामाद हसीबुल ही बचा है। हालांकि, दंपत्ति को चिंता थी कि क्या वह बच पाएगा। मुंशी ने बताया, “उसकी कमर के नीचे की हड्डी कुचल गई थी।”
निचारोन बीबी गुस्से से मलबे के ढेर को देख रही थी। उसने कहा, “आज रात लोगों के रहने की कोई जगह नहीं है। सब कुछ तबाह हो गया। अगर सुबह बारिश रुक जाती, तो सब काम पर निकल जाते। बच्चे बाहर खेल रहे होते। आज सब घर के अंदर ही रहे। लोग बस खाना बना रहे थे या लेटे हुए थे।”