पंजाब में लगातार दो बार से सत्ता संभाल रही अकाली दल ने एक बार फिर पानी को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। अकाली दल के नेताओं को लग रहा है कि किसी अन्य मुद्दे पर उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिल सकती है। पंजाब में अपनी बड़ी भूमिका तलाशने और चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अकाली दल से पानी का मुद्दा छीनने के प्रयास में कह दिया कि पंजाब के पास अपने लोगों के लिए पानी नहीं है तो वह हरियाणा को देने के लिए सतलुज यमुना संपर्क (एसवाईएल) नहर क्यों बना रहा है। उनके बयान ने तूफान ला दिया और हरियाणा ने कहा कि वह दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं पहुंचा सकता। दिल्ली खुद पानी ले जाने का प्रबंध करे। इसके बाद तो दिल्ली सरकार के हाथ-पांव फूलने लगे। हालांकि इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने संभाल लिया, लेकिन हरियाणा-पंजाब में इस मुद्दे पर विवाद तेज हो गया है। मामला गंभीर होने के बाद केजरीवाल ने विषय बदल दिया, लेकिन अगर यह पंजाब चुनाव का मुद्दा बन गया तो केजरीवाल को कहीं दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह घाटा न हो जाए।
आप की परीक्षा
दिल्ली का बजट सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। एक हफ्ते तक तो केवल उपराज्यपाल का अभिभाषण होना है, जिसमें दिल्ली सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाएगी। जाहिर है आप के लोग जो दावा कर रहे हैं उनमें से ज्यादातर को विपक्षी दल फर्जी मान रहे हैं। वादा करना और उसे पूरा करने के दावे करना तो ठीक है लेकिन जो तथ्य आंकड़ों पर आधारित हैं उसे किस तरह से झुठलाया जा सकता है। इसलिए सरकार कुछ भी दावा करे, लेकिन उसकी असली परीक्षा तो अगले हफ्ते पेश होने वाले सालाना बजट में होगी। अगर उसमें भी बेहिसाब राजस्व वसूली के दावे या नए स्कूल, कॉलेज आदि बनाने की वही बातें की जाएंगी जो पिछली बार की गई थीं तो लोग उंगली तो उठाएंगे ही। वैसे आप सरकार तो इसी बजट के सहारे निगमों के उपचुनाव और अगले साल होने वाले निगमों के आम चुनाव के साथ-साथ पंजाब में भी चुनाव लड़ रही है।
असर या बेअसर
यूपी में पॉलीथिन पर रोक का आदेश नोएडा में पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। इसका कारण यह है कि रोकथाम के लिए बनाई गई टीमों के पास जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है। ऐसे में बाजार या दुकानों पर पॉलीथिन में सामान बेचने वालों को केवल चेतावनी देकर छोड़ना इनकी मजबूरी है। मॉल और बड़ी दुकानों में पहले से ही पॉलीथिन के बजाए पेपर बैग का इस्तेमाल होता रहा है, इसलिए पॉलीथिन के इस्तेमाल पर मुख्य रोक साप्ताहिक बाजारों और छोटी दुकानों पर ही लगाई जानी थी। 21 जनवरी से अब तक पॉलीथिन बेचने या उसमें सामान देने वालों के खिलाफ जुर्माना नहीं लगाया गया है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, प्राधिकरण के अफसरों को जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है, लेकिन वे अभियान में शामिल ही नहीं होते।
कैमरे का लालच
मशहूर लोगों के साथ कैमरे में दिखने की ख्वाहिश तो सब की होती है, लेकिन किसी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ दिखने का मौका मिले तो उसे शायद ही कोई छोड़ना चाहेगा। वाकया हाल ही का है, जब आभूषण निर्माताओं का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिला। प्रतिनिधिमंडल में कई बड़े आभूषण निर्माता शामिल थे। मुलाकात के बाद दौर चला कैमरे के सामने बोलने का। मुख्यमंत्री बैठक के दौरान दिए गए भाषण का कुछ अंश बोलकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे थे, लेकिन दूसरी ओर आभूषण निर्माता मुख्यमंत्री के साथ कैमरे में कैद होने की होड़ में लगे थे। इस होड़ से जो भीड़ इकट्ठा हुई, उससे बेचारे प्रिंट और टीवी पत्रकार सवाल भी नहीं पूछ पा रहे थे। इससे एक अच्छी चीज यह हुई कि न तो मुख्यमंत्री ने सवाल सुने और न ही उन्हें जवाब देना पड़ा।
नोटिस पर नाफरमानी
तू डाल-डाल मैं पात-पात! जेएनयू मामले में प्रशासन और नोटिस पाने वाले 21 छात्रों पर यह बात सटीक बैठती है। प्रशासन समय बढ़ाता गया और छात्र उसपर अमल की नाफरमानी करते रहे। पहले बीते बुधवार तक का समय दिया फिर उसे शुक्रवार सुबह किया गया और फिर शाम तक। हर बार छात्र इसकी अनदेखी करते रहे और जवाब दिया भी तो वो गोल-मटोल! छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने सांकेतिक जवाब देते हुए कहा कि जांच में उनका भरोसा नहीं है और कोई सफाई नहीं दे सकते क्योंकि उन्हें अपना अपराध ही नहीं पता है।
गर्म होती जेबें
दिल्ली-एनसीआर में चलने वाली यूपी परिवहन की पीली बसों के कंडक्टरों की बल्ले-बल्ले है। खासकर कश्मीरी गेट बस अड्डे से आने-जाने वाले रूटों पर तो उनकी चांदी है। सीधी बात यह है कि उन्होंने यात्रियों की इस बस को माल ढोने वाला वाहन बना दिया है। यात्रियों का किराया सरकार के खाते में और समान की वसूली अपनी जेब में! मजे की बात है कि ये गाड़ियां दो-दो जगह चेक भी होती हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं होता। दरअसल मेल-मिलाप का मामला जो है। इतना ही नहीं, दिल्ली नोएडा रूट पर जहां यात्री किराया 16, 22 या 30 रुपए है वहीं माल ले जाने वालों से 200 सौ से ज्यादा वसूले जाते हैं।
-बेदिल
मेरी दिल्ली मेरीः पानी बना मुद्दा
पंजाब में लगातार दो बार से सत्ता संभाल रही अकाली दल ने एक बार फिर पानी को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। अकाली दल के नेताओं को लग रहा है कि किसी अन्य मुद्दे पर उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिल सकती है।
Written by जनसत्ता
नई दिल्ली

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First published on: 21-03-2016 at 04:22 IST