उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य नाथ सरकार पर मुस्लिम युवाओं के खिलाफ धर्मांतरण कानून का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 18 वर्षीय सोनू उर्फ साकिब को पुलिस ने इस कानून के तहत जेल में बद कर दिया। दरअसल साकिब 18 दिसंबर को दलित लड़की (16) व अपनी पूर्व सहपाठी के साथ पिज्जा खाने बाहर गया था। बाद में दोनों ने सॉफ्ट ड्रिंक ली और वॉक पर निकल आए। इस घटना के बाद ही साकिब की मुसीबतें बढ़ने लगीं। पुलिस ने उसे लड़की को कथित तौर पर प्यार के जाल में फंसाने और धर्म परिवर्तन के आरोप में जेल में डाल दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने पश्चिमी यूपी जिला स्थित बरखेड़ा गांव निवासी लड़की के किसान पिता की शिकायत पर सोनू के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके अनुसार उसने कथित तौर पर नाबालिग लड़की को विवाह के इरादे से खुद के साथ रहने के लिए ‘फुसलाया’ और जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की। हालांकि मामले में विवाद तब गहरा गया जब लड़की के पिता ने शिकायत पर पुलिस की मनमानी करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि मामले को बिना वजह तूल दिया जा रहा है। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि बेटी सोनू के साथ भागने की कोशिश में थी। इसी तरह लड़की ने जोर देकर कहा कि सोनू ने कभी विवाह या धर्म परिवर्तन के संबंध में बात नहीं की।

इधर पुलिस ने अपने बचाव में कहा कि सोनू 18 साल का है जबकि परिवार ने उसके नाबालिग होने का दावा किया है। परिवार में इस बात पर भी विवाद है कि लड़की को सोनू के धर्म की जानकारी थी या नहीं। बता दें कि पुलिस ने धर्मांतरण कानून के अलावा सोनू के खिलाफ अपहरण, एससी एंड एसटी (अत्याचार निवारण) एक्ट और पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। खास बात है कि पिता की शिकायत में किसी भी तरह के यौन हमले का उल्लेख नहीं है। मगर पुलिस ने सोनू के खिलाफ दर्ज आरोपों का बचाव किया है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 राज्य में नवंबर से लागू है। इसमें गैर कानूनी रूप से धर्म परिवर्तन कराने पर और लड़की धर्म बदलने के इरादे विवाह करने पर दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इस कानून के तहत सोनू के खिलाफ कार्रवाई की गई है जबकि लड़की और उसके पिता ने इसे नकार दिया है।