अयोध्या केस में फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार (17 नवंबर) को एक बैठक की। जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर को जमीन सौंपे जाने के साथ मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ की जमीन दिए जाने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का ऐलान किया। यह बैठक लखनऊ के मुमताज पीजी कॉलेज में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में कार्यकारिणी सदस्यों के साथ हुई। इस दौरान AIMPLB के सदस्य और वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम उसी बाबरी मस्जिद की जमीन चाहते हैं।
क्या बोले जफरयाब जिलानी: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सदस्य जफ़रयाब ने कहा कि हम एक पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। हम शरिया कानून के अनुसार किसी भी अन्य साधारण जमीन को स्वीकार नहीं कर सकते, हम उसी बाबरी मस्जिद की जमीन चाहते हैं। जफरयाब जिलानी ने आगे कहा कि हम अयोध्या पर फैसले के 30 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए अपना पूरा प्रयास करेंगे।
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद का बयान: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठ से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि यह जानते हुए कि हमारी पुनर्विचार याचिका 100% खारिज कर दी जाएगी, फिर भी हमें याचिका दायर करनी चाहिए क्योंकि यह हमारा अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कही यह बात: जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस बात को माना कि वहां (अयोध्या) नमाज पढ़ी जाती थी जबकि गुंबद (बाबरी) के नीचे भगवान राम के जन्मस्थान का कोई प्रमाण नहीं मिला। उन्होंने कहा कि शरिया नियम के तहत मस्जिद की जमीन स्थानांतरित नहीं की जा सकती।