महाराष्ट्र में हिंदी विरोध के नाम पर राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी रुकने का नाम नहीं ले रही है। राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी की एक घटना सामने आई है। मुंबई के मीरा रोड स्थित एक फास्ट फूड दुकान के कर्मचारी को राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया। पीड़ित की ‘गलती’ सिर्फ यही थी कि वह मराठी न बोलकर हिंदी बोल रहा था।
दुकानदार को MNS कार्यकर्ताओं ने पीटा
इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें राज ठाकरे के कार्यकर्ता दुकानदार को थप्पड़ मारते हुए नजर आ रहे हैं। यह घटना सोमवार रात की बताई जा रही है। उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह घटना मीरा रोड के बालाजी होटल पर हुई। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि राज ठाकरे के कार्यकर्ता दुकानदार से पहले बहस करते हैं, फिर अचानक उसे थप्पड़ जड़ने लगते हैं। इस दौरान MNS का एक कार्यकर्ता पानी पीता हुआ भी नजर आ रहा है।
महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम का बयान
हालांकि घटना पर महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र में सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए और कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में ना लें। वहीं कैबिनेट मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी और भारत में हिंदी हमारी प्राथमिक भाषा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई कानून तोड़ेगा तो उसके खिलाफ सरकार कदम उठाएगी। वहीं शरद पवार की पार्टी एनसीपी और उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी ने भी इस घटना की निंदा की है।
बता दें कि महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी पढ़ाने से जुड़े सरकारी आदेश जारी हुए थे। हालांकि विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसके बाद सरकार ने इसे रद्द कर दिया। हालांकि राज ठाकरे की पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अक्सर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, जिसमें वह लोगों को मराठी बोलने के लिए फोर्स करते हैं।
राज ठाकरे ने क्या कहा?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने सोमवार को कहा था कि अगर उत्तर भारतीयों को नौकरी के लिए महाराष्ट्र आना पड़े तो उनके राज्यों में भी मराठी पढ़ाई जानी चाहिए। राज ठाकरे ने कहा, “राज्य सरकार के पास हिंदी थोपने से संबंधित दोनों सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैं मराठी लोगों को दृढ़ रुख अपनाने के लिए बधाई देना चाहता हूं। यह मुद्दा शुरू से ही अनावश्यक था। आम लोगों के अलावा मैं कुछ लेखकों, कुछ कलाकारों और मराठी मीडिया के पत्रकारों और संपादकों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस मुद्दे का समर्थन किया।”