महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने कहा है कि मुंबई पैदल चलने वालों या साइकिल चालकों के लिहाज से बहुत अनुकूल नहीं है और इसे और अधिक समावेशी महानगर बनाने की जरूरत है। बताना होगा कि मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी है और यहां देश भर से लोग रोजी-रोटी की तलाश में आते हैं।

सौनिक ने शुक्रवार को आईएफसीसीआई के एक समारोह में कहा, ‘‘फिलहाल यह पैदल चलने वाले या साइकिल चलाने वालों के लिए बहुत अनुकूल नहीं है। हम इस दिशा में कैसे काम करते हैं, यह बड़ा सवाल है।’’

महाराष्ट्र की सबसे वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि टिकाऊ शहरीकरण के लिए एक हरित और अधिक समावेशी शहर को बनाना या कम से कम निर्माण की योजना बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शहर ऐसा होना चाहिए जहां उद्योग नवीकरणीय ऊर्जा से चलते हों और हरित स्थान शहरी नियोजन का हिस्सा हों।

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समुद्र का स्तर बढ़ने की आशंका

सौनिक से पहले भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और मुंबई समकालीन चुनौतियों के जो समाधान दे सकते हैं, वे दुनिया की मदद करेंगे। उन्होंने भी शहर को अधिक समावेशी बनाने पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा। मथौ ने कहा कि मुंबई को पारिस्थितिकी चुनौतियों पर ध्यान देना होगा, क्योंकि यह एक तटीय शहर है और आशंका है कि अगले 50 वर्षों में समुद्र का बढ़ता स्तर शहर के 10 प्रतिशत भूभाग को निगल जाएगा।

इस बीच, फ्रांस की ओलंपिक और पैरालंपिक मंत्री अमली कुदी-कास्तेरा ने कहा कि भारत को 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए चिली और इंडोनेशिया से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

भारत की आर्थिक राजधानी होने की वजह से देश भर से बड़ी संख्या में लोग मुंबई आते हैं। मुंबई की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और इस वजह से शहर में बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। मुंबई के कई इलाकों में पानी का संकट बहुत ज्यादा है। कई जगह पर पानी बहुत कम आता है और कई जगह पर बेहद खराब पानी आता है।

बारिश के दिनों में बेहद खराब होते हैं हालात

बारिश के दिनों में मुंबई का जीवन नर्क से भी बद्तर हो जाता है और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुंबई में ड्रेनेज सिस्टम काफी पुराना है और नालियों की नियमित सफाई न होने की वजह से लोगों को खासी परेशानी होती है। इसके अलावा शहर में कूड़े के प्रबंधन के लिए भी एक मजबूत तंत्र नहीं है। मुंबई की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही अतिक्रमण भी बढ़ रहा है। इस वजह से इस शहर की हालत बेहद खराब हो गई है।

इस साल मई में प्रजा फाउंडेशन नाम के एनजीओ ने एक रिपोर्ट में बताया था कि मुंबई के 6,800 सामुदायिक शौचालय ब्लॉकों में से 69 प्रतिशत में पानी का कनेक्शन नहीं है और 60 प्रतिशत में बिजली का कनेक्शन नहीं है। मुंबई में लगभग ढाई करोड़ लोग रहते हैं। तमाम समस्याओं के साथ ही यह शहर ट्रैफिक का भी भारी दबाव झेल रहा है। 

मुंबई में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो शहर की विशाल झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं।

मुंबई में अवैध बस्तियां तेजी से बढ़ी हैं। धारावी मुंबई और भारत की सबसे बड़ी बस्ती है, जिसमें 12 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। मुंबई की 60 प्रतिशत आबादी सामुदायिक नलों पर निर्भर है। कई इलाकों में कुछ ही घंटे पीने का पानी आता है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने मुंबई पर काफी दबाव डाला है।