राज्यसभा सदस्य और पीडीपी नेता फयाज अहमद मीर ने सोमवार (11 फरवरी, 2019) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर दरख्वास्त की कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक मकबूल बट के अवशेष वापस किए जाएं। दोनों को ही दिल्ली के तिहाड़ जेल में दफन किया गया था। बट की मौत की 35वीं बरसी पर मीर ने यह खत मोदी को लिखा है। मकबूल भट को एक गुप्तचर अधिकारी की हत्या के लिए 11 फरवरी 1984 को फांसी देने के बाद तिहाड़ जेल में दफना दिया गया था। वहीं, अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी। मीर ने लिखा, ‘हम मृत्युदंड दिए जाने के मुद्दे पर होने वाले शैक्षिक विमर्श से बेहद दूर हैं। इस बात पर भी चर्चा नहीं कि गुरु को फांसी पर तब चढ़ा दिया गया, जब मौत की सजा पाने वाले बंदियों की लिस्ट में वह 28वें नंबर पर था। हालांकि, उसकी फांसी और उसके शरीर को अभी तक वापस न देने का तत्कालीन सरकार का फैसला न केवल बेहद दुखद है, बल्कि सबसे बड़े लोकतंत्र पर गहरा धब्बा है। यह सभी तरह से एक असंवैधानिक कदम था।’

पत्र में लिखा है, ‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि यदि भारत सरकार इस अनुरोध पर निर्णय करे तो कश्मीरियों में विद्वेष और अलगाव की भावना में काफी कमी लाई जा सकती है।’’ मीर ने कहा कि गुरु और भट के अवशेष की मांग करने में कुछ भी अनुचित नहीं है क्योंकि पूर्व में निर्वाचित प्रधानमंत्री के हत्यारों की मौत की सजा घटा कर उन्हें फांसी से बचा लिया गया था। उन्होंने कहा, ‘ऐसे देश में जहां एक निर्वाचित प्रधानमंत्री के हत्यारों को क्षमादान दिया गया और उनकी मौत की सजा को कम कर दिया गया, मैं नहीं मानता कि दो कश्मीरियों के अवशेष उनके परिवारों को लौटाने की मांग करना गलत है।’’

मीर ने अपने खत में पीएम से इस मुद्दे पर विचार करने की दरख्वास्त की है। मीर ने पूछा है, ‘फांसी पाए दो कश्मीरी लोगों के अवशेष कैसे भारत जैसे लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकते हैं?’ पत्र में आगे लिखा गया कि क्या भारत की सामूहिक अंतरात्मा कश्मीरियों की सामूहिक अंतरात्मा है? (एजेंसी इनपुट)