बिहार के नालंदा जिले के हिलसा निवासी शशिभूषण प्रसाद आैर सरिता देवी का 19 वर्षीय पुत्र सौरभ प्रतीक 19 सितंबर को छत से गिर गया था। उसके सिर में गहरी चोट आ गई थी। घटना के बाद पूरे परिवार में कोहराम मच गया। आनन-फानन में सौरभ को इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसके बाद 22 सितंबर को उन्हें पटना के आईजीआईएमएस रेफर कर दिया गया। यहां अगले दिन 23 सितंबर को डॉक्टरों ने सौरभ को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। ऐसी स्थिति में सौरभ की मां ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसकी तारीफ हर कोई कर रहा है। दुनिया उनके फैसले को सलाम कर रही है। आज उनका बेटा भले ही जीवित नहीं है, लेकिन उसने तीन को नई जिंदगी दे दी। सौरभ के तीन अंगों को तीन महिलाअों में ट्रांसप्लांट किया गया है। सौरभ का दिल कोलकाता की एक महिला, लिवर दिल्ली की महिला और कॉर्निया पटना की महिला को ट्रांसप्लांट किया गया है। आज सौरभ का दिल भी इस दुनिया में धड़क रहा है और उसकी आंखें भी दुनिया देख रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सौरभ की मां सरिता सिन्हा की किडनी भी खराब हो गई थी। उसके बाद उनके भाई ने उन्हें किडनी दी थी। बेटे के साथ हुए दर्दनाक हादसे के बाद जब उन्हें पता चला कि वह ब्रेनडेड हो चुका है, तो उन्होंने बेटे के अंग को दान करने का निश्चय किया, ताकि यह अंग किसी और के काम आ जाए। इसके बाद डॉक्टर ने अंगदान की प्रक्रिया शुरू की।

सौरभ के लीवर को आईजीआईएमएस में ही एक मीरीज को ट्रांसप्लांट करना था, लेकिन खांसी की वजह से ऐसा नहीं हो सका। इसलिए बाद में हवाई जहाज से लीवर को नई दिल्ली के आईएलबीएस में एक मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया। दिल को कोलकाता के रविद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्डियक साइसेंज में भेजा गया। इसके लिए आईजीआईएम से पटना एयरपोर्ट के बीच दो बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। वहीं, एक कॉर्निया को पटना की ही एक महिला को ट्रांसप्लांट किया गया है। तीन और कॉर्निया को सुरक्षित रखा गया है। इस साहसिक कदम के बाद डॉक्टर से लेकर आम लोग तक मां के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं।