मातृत्व विधेयक में कथित खामी और भावी पिताओं को कोई राहत उपलब्ध करा पाने में इसकी ‘विफलता’ के लिए आलोचना का सामना कर रहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार (26 अगस्त) को कहा कि इन चिंताओं के समाधान के लिए भविष्य में ‘अधिक प्रगतिशील’ कानून हो सकता है। उन्होंने एक राष्ट्रीय दैनिक के साथ साक्षात्कार में इस बात से भी इनकार किया कि उन्होंने कहा था कि ‘पितृत्व अवकाश महज एक छुट्टी होगी।’
मेनका ने कहा, ‘मैंने असल में ऐसा नहीं का था। मैंने कहा था कि पुरुषों के पास पहले से ही बीमारी अवकाश है । पिता बनने के समय उन्हें उसका इस्तेमाल करने की आवश्यकता है और तब हम उस पर आगे बढ़ेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘मैं एक ऐसे समय को लेकर आशान्वित हूं जब माता-पिता की संयुक्त जिम्मेदारी होगी । यह एक आदर्श समाधान है और हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। नवजात बच्चे की देखभाल के लिए पहला कदम मातृत्व विधेयक है और अगला कदम अधिक प्रगतिशील हो सकता है।’
मातृत्व लाभ विधेयक 2016 को इस महीने के शुरू में राज्यसभा ने पारित कर दिया था और इसे शीतकालीन सत्र में लोकसभा में लाए जाने की संभावना है। विधेयक में मातृत्व अवकाश को वर्तमान के 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते तक किए जाने का प्रावधान करता है, लेकिन इसमें पिताओं के अवकाश के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो निजी क्षेत्र में पिताओं के लिए अवकाश को आवश्यक बनाता हो। यद्यपि सरकारी सेवा में…जैविक पिता और बच्चा गोद लेने वाले पिता भी 15 दिन का वैतनिक अवकाश ले सकते हैं। राज्यसभा में मातृत्व विधेयक पर चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने इस खामी को रेखांकित किया था। निर्दलीय सांसद अनु आगा, कांग्रेस से रजनी पाटिल और राकांपा से वंदना चव्हाण ने विधेयक में पितृत्व अवकाश के लिए प्रावधान किए जाने की मांग की थी।

