उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की अल्मोड़ा सीट प्रदेश की एकमात्र सुरक्षित लोकसभा सीट है। इस सीट पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टम्टा हरीश रावत के खासमखास हैं। इस सीट पर हरीश रावत की राजनीति भी दांव पर लगी है। कांग्रेस आलाकमान ने रावत की सिफारिश पर ही प्रदीप टम्टा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर स्थानीय मुद्दों की बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे ज्यादा हावी हैं।
14 विधानसभा क्षेत्रों की सीट
अल्मोड़ा लोकसभा सीट कुमाऊं मंडल के चार जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चम्पावत के 14 विधानसभा क्षेत्रों में फैली हुई है। इनमें अल्मोड़ा, सोमेश्वर, जागेश्वर, बागेश्वर, रानीखेत, लाराहाट, कपकोट, सल्ट, पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, डीडीहाट, चम्पावत, लोहाघाट और धारचूला विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 14 विधानसभा सीटों में से 11 विधायक भाजपा के हैं, जबकि कांग्रेस के केवल तीन विधायक हैं। इस सीट पर 13 लाख 21 हजार 658 मतदाता हैं। जिनमें से पुरुष 6 लाख 85 हजार 655, महिला 6 लाख 35 हजार 996 तथा किन्नर मतदाता 7 हैं। यह लोकसभा सीट चीन और नेपाल की सीमा से लगी होने के कारण बहुत महत्त्वपूर्ण है।
पिछले चुनावों के नतीजे
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर 53 फीसद यानी 3 लाख 48 हजार 186 तथा कांग्रेस को 38.43 फीसद यानी 2 लाख 52 हजार 496 वोट मिले थे। 2009 में भाजपा को 40.36 फीसद यानी 1 लाख 95 हजार 705 और कांग्रेस को 41.70 यानी 2 लाख 2 हजार 778 वोट मिले थे। कांग्रेस ने तब यह सीट भाजपा से छीनी थी। 2004 में इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल करते हुए 2 लाख 25 हजार 742 वोट प्राप्त किए थे। यानी तब भाजपा को 44.68 फीसद वोट मिले। कांग्रेस को 42.69 फीसद वोट मिले थे। यानी कांग्रेस ने 2 लाख 15 हजार 690 वोट मिले थे। इस सुरक्षित सीट पर 2014 में भाजपा के उम्मीदवार अजय टम्टा ने कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप टम्टा को हराकर 2009 हुई पराजय का बदला लिया था।
जातीय समीकरण
इस सीट पर 43 फीसद राजपूत, 38 फीसद ब्राह्मण, 17 फीसद दलित तथा 2 फीसद अन्य मतदाता हैं। इस सीट पर 14 विधानसभाओं में सबसे ज्यादा मतदाता बागेश्वर विधानसभा सीट पर 1 लाख 13 हजार 746 हैं। जबकि सबसे कम मतदाता रानीखेत विधानसभा क्षेत्र में 81 हजार 515 हैं। अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के मतदाता राष्ट्रीय मुद्दों को देखते हुए हमेशा वोट देते रहे हैं। इस बार भी स्थानीय मुद्दों की बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय मुद्दों में पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है।
सतीश जोशी सामाजिक कार्यकर्ता
01. अल्मोड़ा
02. अजय टम्टा, अल्मोडा से लोकसभा उम्मीदवार, भाजपा।
02. प्रदीप टम्टा, अल्मोडा से लोकसभा उम्मीदवार, कांग्रेस।
03. सतीश जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता।
तीसरी बार टम्टा आमने-सामने
अब दोनों टम्टा तीसरी बार इस लोकसभा सीट पर आमने-सामने हैं। 1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस के हरीश रावत लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर अल्मोड़ा सीट से सांसद चुने गए। तब यह सीट सुरक्षित नहीं थी। 1991 में राम लहर के कारण यह सीट भाजपा ने 2004 तक लगातार पांच बार जीती। हरीश रावत को यहां चार बार हार का मुंह देखना पड़ा। 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस ने यह सीट हथियाए रखी। 1977 में जनता पार्टी की लहर के कारण मुरली मनोहर जोशी ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनाव में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गई। तब कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने इस सीट पर जीत हासिल की।
मैं इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए जितने काम किए हैं, उतने काम 50 साल में नहीं हुए और पांच साल में देश में भ्रष्टाचार पर रोक लगी। मेरे सामने इस चुनाव में कोई खास चुनौती नहीं है। -अजय टम्टा, सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री
मैं भाजपा के उम्मीदवार को इस बार आसानी से हराकर पिछला हिसाब-किताब चुकता कर लूंगा। इस वक्त कांग्रेस महात्मा गांधी की विरासत को बचाए रखने को सबसे बड़ी चुनौती मानती है। मुख्य चुनावी मुद्दे पहाड़ों से पलायन रोकना और अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कुमाऊं मंडल में एम्स की स्थापना करवाना है। – प्रदीप टम्टा,कांग्रेस के उम्मीदवार व राज्यसभा सदस्य
