केंद्र सरकार के तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के बीच सरकार द्वारा धान और गेहूं की खरीद के आंकड़ें सामने आए हैं। इसके मुताबिक देश में पिछले पांच सालों में गेहूं और धान की जितनी पैदावार हुई है उसका आधा भी सरकार नहीं खरीदा। फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी एफसीआई के अनुसार साल 2015 में 1044 लाख टन धान की पैदावार हुई, जिसमें सरकार ने 342 लाख टन (करीब 33 फीसदी) ही धान खरीदा। इसी तरह 2019-20 में 1179 लाख टन धान की पैदावार हुई जिसमें सरकार ने 510 लाख टन (करीब 43 फीसदी) धान खरीदा।
पिछले पांच सालों में सरकार द्वारा धान की खरीद की बात करें तो इसमें महज दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016 में 1097 लाख टन धान की पैदावार हुई और सरकार ने 381 लाख टन (करीब 35 फीसदी) ही धान खरीदा। इसी तरह 2017 में 1128 लाख टन पैदावार और सरकार द्वारा खरीद 382 लाख टन, 2018 में 1165 लाख टन पैदावार और खरीद 444 लाख टन और 2019 में 1179 लाख टन पैदावार हुई और सरकार द्वारा 510 लाख टन धान की खरीद की गई, जो करीब 43 फीसदी बैठता है।
इसी तरह गेंहू खरीद में भी पांच सालों में 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में 923 लाख टन गेहूं की पैदावार हुई। इसमें सरकार ने 230 लाख टन यानी 25 फीसदी गेहूं की खरीद की। इसी तरह 2016 में 985 लाख टन गेहूं की पैदावार और खरीद 308 लाख टन, 2017 में 999 लाख टन पैदावार और खरीद 358 लाख टन, 2018 में 1036 लाख टन पैदावार, खरीद 341 लाख टन और 2019 में 1072 लाख टन गेहूं की पैदावार हुई जिसमें सरकार ने 390 लाख टन यानी 36 फीसदी गेहूं की खरीद की।
सरकार फसल पर जो एमएसपी तय करती है उसी के हिसाब से किसानों से खरीद करती है। नए बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का मानना है कि इससे फसल खरीदने की एमएसपी प्रभावित होगी। बिलों में अन्य प्रावधान पर भी किसान सरकार से नाराज हैं और इसे लेकर पिछले दस दिनों से राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच इस मुद्दे पर पांच चरणों में वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी हल नहीं निकला। आज यानी शनिवार की बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को 9 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए न्योता दिया है।