Kanwar Yatra: हर साल सावन के महीने में शिवभक्त कांवड़ यात्रा लेकर निकल पड़ते हैं। इस यात्रा के दौरान वो पैदल ही भगवान भोले की नगरी तक का सफर तय करते हैं। यात्रा के दौरान शिवभक्तों को लगातार पैदल चलते-चलते थकान होती है पैरों में दर्द होता है। ऐसे में वो रुक कर आराम करते हैं और फिर अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए निकल पड़ते हैं। ऐसे ही कांवड़ ले जाने वाले शिवभक्तों के लिए एक बाबा मेरठ में हैं जिन्हें मोच वाला बाबा के नाम से जाना जाता है। मोच वाले बाबा कांवड यात्रा के दौरान थके हुए शिवभक्तों को आराम देने के लिए उनकी पीड़ा हरते हैं।
80 वर्षीय मोच वाले बाबा सावन के मौसम में कांवड़ यात्रा के साथ अपना कैंप लेकर चलते हैं वो इस दौरान कांवड़ ले जा रहे शिवभक्तों की सेवा करते हैं। उनके हाथों में ऐसा हुनर है कि पूरी थकान कुछ ही क्षणों में गायब कर देता है। इसी वजह से उनका नाम मोच वाले बाबा पड़ा है। एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने जब मोच वाले बाबा से बात की तो उन्होंने बताया कि वो कैसे इन शिवभक्तों की सेवा करते हैं। जब एक शिवभक्त से बात की गई कि आपको मोच वाले बाबा के इलाज से कैसा महसूस हो रहा है तो उसने बताया बहुत अच्छा लग रहा है।
37 सालों से शिवभक्तों की कर रहे हैं सेवा
मोच वाले बाबा पिछले 37 सालों से कांवड़ियों के बीच अपना शिविर लगाते हैं पहले वो भी कांवड़ ले जाया करते थे लेकिन अब 80 वर्ष की उम्र में वो कांवड़ नहीं ले जा पाते लेकिन कांवड़ ले जाने वालों की सेवा करके वो इसकी भरपाई कर लेते हैं। जब मोच वाले बाबा से पूछा गया कि आपका नाम मोच वाले बाबा कैसे पड़ा तो उन्होंने जवाब देते हुए बताया ये सब ईश्वर की कृपा है। मोच वाले बाबा ने बताया वो नंगली तीरथ के रहने वाले हैं और पिछले लगभग 4 दशक से ऐसे ही कांवड़ ले जाने वाले शिवभक्तों की सेवा कर रहे हैं।
कैसे लोगों का दर्द दूर करते हैं बाबा?
जब बाबा से पूछा गया कि आप कैसे थके हुए लोगों का दर्द दूर करते हैं तो उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि ये सब मैंने इन्हीं शिवभक्तों से सीखा है। लोग देखते हैं और चले जाते हैं लेकिन मैंने उसे धारण किया कि कैसे लोगों की सेवा की जाए और कैसे उनके दर्द को दूर किया जाए। बाबा शिवभक्तों को उनके दर्द के हिसाब से इलाज करते हैं। वो कुछ नसों को पकड़कर ही दबाते हैं जिससे शिवभक्तों की थकान दूर हो जाती है और अगर उनके शरीर में कहीं मोच की शिकायत है तो वो भी वो दूर कर देते हैं।
क्या है मोचवाले बाबा का असली नाम?
जब बाबा से पूछा गया कि इतनी उम्र में लोगों की सेवा करने उन्हें कैसा लगता है? तो बाबा ने बताया कि सेवा करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। बाबा ने बताया कि ये तो भोले की भक्ति का एक भाव है जिसमें हम सभी रमें हुए हैं। इसी वजह से लोगों की सेवा करने में उन्हें मजा आता है। बाबा के साथ एक सहयोगी ने बताया कि वो पिछले 37 सालों से बाबा के साथ हैं। जब भी कांवड़ यात्रा शुरू होती है दिल्ली से हरिद्वार के लिए तो हर कैंप में मोच वाले बाबा की तलाश होती है। किसी को भी नले हों, नाप हो, मोच हो कैसा भी दर्द बाबा अपने इलाज से दर्द को छूमंतर कर देते हैं। जब बाबा से उनका असली नाम पूछा गया तो उन्होंने बताया मेरा असली नाम सत्यानंद पुरी जी महाराज बताया।