राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक फाउंडेशन ने मानव संसाधन एवं विकास (एचआरडी) मंत्रालय का नाम बदलने का सुझाव दिया है। महाराष्ट्र के नागपुर स्थित रिसर्च फॉर रिसरजेंस फाउंडेशन का कहना है कि एचआरडी मंत्रालय का नाम बदलकर 1985 के पहले की तरह शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाना चाहिए। शनिवार (29 सितंबर) को यह बात फाउंडेशन की ओर से आयोजित कॉन्फ्रेंस में संयुक्त आयोजन समिति और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ द आर्ट्स के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कही।
कार्यक्रम में मंत्रालय का नाम बदलने से जुड़े प्रस्ताव पर तकरीबन 400 कुलपतियों और प्रोफेसरों की मौजूदगी में चर्चा हुई। आपको बता दें कि यह फाउंडेशन, भारतीय शिक्षण मंडल से संबद्ध है। मंडल से जुड़े अधिकारियों ने एक बिजनेस वेबसाइट को बताया कि सरकार में इस प्रस्ताव को उच्च नेताओं के सामने पेश किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर उपस्थित थे।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र करते हुए राय ने ईटी को बताया, “शिक्षा या मानव से संसाधन की तरह पेश आना भारतीय मूल्यों के खिलाफ है। यह शिक्षा को समग्र रूप से देखता है। ह्युमन रिसोर्स शब्द में मकैनिसेजन और कर्मशियलाइजेशन है, जबकि शिक्षा मंत्रालय को इंडस्ट्री के लिए नए ग्रैजुएट तैयार करने के बजाय सभी तक शिक्षा का प्रसार और उसे सार्वभौमिक बनाने पर जोर देना चाहिए।”
राय के मुताबिक, प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में ढेर सारी मेहनत हुई थी। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद और भारत के पहले शिक्षा सचिव हुमायूं कबीर ने राज्य शिक्षा मंत्रियों और सचिवों को अपने पत्राचार में साफ कर दिया था कि वह चाहते हैं कि मंत्रालय शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों पर जोर दे।
वहीं, पूर्व एचआरडी मंत्री पल्लम राजू ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय का नाम एचआरडी मंत्रालय, इसका स्कोप बढ़ाने के लिए किया गया था, ताकि इसमें शिक्षा के जरूरी मानी जाने वाली सभी किस्म की जरूरी स्किल्स शामिल की जा सकें।
