दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि शिकायत पर अपना फैसला 17 फरवरी के लिए टाल दिया। रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे, जिसके चलते उन्होंने (अकबर ने) अपनी कथित मानहानि को लेकर 15 अक्टूबर 2018 को यह शिकायत दायर की थी।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने कहा कि लिखित दलीलें देर से सौंपी गईं। अकबर और रमानी के वकीलों द्वारा अपनी-अपनी दलीलें पूरी करने के बाद अदालत ने एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। रमानी ने 2018 में सोशल मीडिया पर चली ‘मीटू’ मुहिम के मद्देनजर अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था।
मालूम हो कि रमानी मीटू अभियान के दौरान एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पहली महिला थीं। साल 2017 के एक लेख और 2018 के एक ट्वीट में उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने 1994 में नौकरी के लिए एक साक्षात्कार के दौरान उनका यौन उत्पीड़न किया था।
उस समय बीस से अधिक महिलाओं ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया जब वो पत्रकारिता के पेश में थे। हालांकि उन्होंने इन आरोपों को गलत, मनगढ़ंत और गहराई तक परेशान करने वाला करार दिया। उन्होंने कहा कि वो इन आरोपों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई कर रहे थे।
बता दें कि इन आरोपों के बाद एमजे अकबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा। एमजे अकबर ने पिछले महीने अपने वकील के जरिए दिल्ली की एक अदालत को बताया- रमानी ने जानबूझकर ट्विटर अकाउंट डिलीट कर सबूत नष्ट कर दिए। (एजेंसी इनपुट)