UP News: छह साल पहले समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने संसद में वंदे मातरम गाने से इनकार कर यह कहकर विवाद खड़ा किया था कि यह उनकी धार्मिक आस्था के खिलाफ है। अब उनके पोते ने भी उनके इन्हीं शब्दों को दोहराया है। संभल से सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने कहा कि उन्होंने कभी राष्ट्रीय गीत नहीं गाया है और इसका इस्तेमाल उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाने के लिए नहीं किया जा सकता।

वह मुंबई के सपा विधायक अबू आसिम आजमी के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिन्होंने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया था। इससे राष्ट्रीय गीत के 150 साल पूरे होने पर विवाद पैदा हो गया था। जिया-उर-रहमान ने कहा कि वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत है न कि राष्ट्रगान। उन्होंने कहा कि न तो उनके दादा ने इसे गाया था और न ही वह इसे गाएंगे।

मेरी देशभक्ति पर कोई उंगली नहीं उठा सकता- संभल सांसद

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में संभल सांसद ने कहा, “मेरे दादा बर्क साहब ने हमेशा इसकी मुकलाफत की है और कभी इसको नहीं गाया, ना ही मैं गाता हूं। इस चीज से मेरी देशभक्ति पर कोई उंगली नहीं उठा सकता।” 2019 में शफीकुर बर्क उस समय विवाद का केंद्र बन गए थे जब उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान संसद में वंदे मातरम का नारा लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह इस्लाम के खिलाफ है।

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राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर- जिया-उर-रहमान

जिया-उर-रहमान ने कहा कि वह किसी को यह बताने के लिए बाध्य नहीं हैं कि वह कितने बड़े देशभक्त हैं और देश की आजादी के लिए मुसलमानों द्वारा किए गए बलिदानों का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर है और कोई भी मुसलमानों को राष्ट्रगीत गाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता क्योंकि इसमें कुछ शब्द उनके धर्म के उपदेशों के खिलाफ हैं।

हम राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं- सपा सांसद

उन्होंने कहा, “जन गण मन हमारे देश का राष्ट्र गान है, हम सम्मान भी करते हैं, और खड़े होकर दिल से गाते हैं। लेकिन वंदे मातरम राष्ट्र गान नहीं, राष्ट्र गीत है। उसके लिए हमें कोई अच्छा नहीं कर सकता, बाध्य नहीं कर सकता कि हम उसका उपयोग करें। हम इसका सम्मान करते हैं और इसे खड़े होकर गाते हैं लेकिन वंदे मातरम राष्ट्रगान नहीं है, यह राष्ट्रीय गीत है, कोई भी हमें इसे गाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।”

जिया-उर-रहमान ने कहा, “इसमें एक शब्द है जो इस्लाम के उपदेशों के खिलाफ है। हम अपने देश की धरती से प्यार करते हैं और इसके प्रति वफादार हैं लेकिन हम इसके सामने प्रार्थना नहीं कर सकते क्योंकि यह हमारे धर्म के खिलाफ है।” उन्होंने आगे कहा कि संविधान सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है और वंदे मातरम न गाने और अपने धर्म का पालन करने का निर्णय लेना उनका संवैधानिक अधिकार है।