उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित करेरा गांव में हाल ही में बड़ी संख्या में दलित वाल्मिकी समाज के लोगों के हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने की खबरें सामने आई थीं। इस पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को अज्ञात लोगों के खिलाफ धर्म परिवर्तन की अफवाह फैलाने का केस दर्ज किया है। जबकि वाल्मिकी समाज के लोगों कहना है कि उनका धर्मांतरण संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर के पड़पोते राजरतन अंबेडर की मौजूदगी में 14 अक्टूबर को हुआ है।
बताया गया है कि यह केस गुरुवार को साहिबाबाद पुलिस स्टेशन पर एक 22 साल के सामाजिक कार्यकर्ता- मोंटू चंदेल की शिकायत पर दर्ज हुआ है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 153-ए (दो संप्रदायों में दुश्मनी भड़काने) और धारा 505 (अफवाह के प्रसार) के तहत केस दर्ज किया है। एफआईआर में कहा गया है कि कुछ अज्ञात लोगों और संगठनों ने 230 लोगों के धर्म परिवर्तन की झूठी अफवाहें फैलाई हैं।
एफआईआर में कहा गया है कि इस मामले में जो सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, उनमें न तो कोई नाम है और न ही पता। इन सर्टिफिकेट्स को जारी करने की तारीख तक नहीं दी गई है। न ही इनमें कोई रजिस्ट्रेशन नंबर है या किसी जारी करने वाले का नाम है। यह सिर्फ इलाके में जातीय तनाव भड़काने की आपराधिक साजिश है।
वहीं राजरतन अंबेडकर का कहना है कि करेरा गांव के 236 लोगों को बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। इस संस्था की स्थापना डॉक्टर अंबेडकर ने 1955 में की थी। इन सर्टिफिकेट्स पर दलितों के धर्म परिवर्तन के समय उनके साथ रहे राजरतन अंबेडकर के हस्ताक्षर हैं, जो कि खुद संस्था के ट्रस्टी-प्रबंधक हैं। इसके अलावा इसमें बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल कमेटी के प्रमुख भदांत आर्य नागार्जुन सुरई ससई के भी साइन हैं।
राजरतन ने कहा, “आखिर करेरा में 14 अक्टूबर को धर्म परिवर्तन की बात अफवाह कैसे हो सकती है, जबकि मैं खुद इस कार्यक्रम में मौजूद था। इसका एक फेसबुक लाइव वीडियो भी मौजूद है, साथ ही कई फोटो भी हैं। आखिर एफआईआर का आधार क्या है?”
इस पर साहिबाबाद के सर्किल अफसर केशव कुमार ने कहा, “हम इन आरोपों की जांच कर रहे हैं। सर्टिफिकेटों में सिर्फ धर्मांतरण की तारीख दी गई हैं। यह आरोप कि दस्तावेज असली नहीं हैं, इसकी जांच की जाएगी। अब तक मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।”