जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मोदी सरकार द्वारा अलगाववादी नेताओं पर की गई कार्रवाई का विरोध किया। हाल में अलगाववादियों की हुई गिरफ्तारी का विरोध करते हुए महबूबा ने कहा कि किसी की सोच को ना तो मारा जा सकता और ना ही जेल में डाला जा सकता है। सरकार का कश्मीर की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए महबूबा ने कहा कि बॉर्डर पार से श्रीनगर-मुजफ्फराबाद के जरिए होने वाले व्यापार को बंद नहीं किया जाना चाहिए। दरअसल, पिछले दिनों खबरें थीं कि नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने सरकार के सामने क्रॉस एलओसी व्यापार को बंद करने की गुजारिश की थी।
महबूबा ने आगे कहा कि इस वक्त कश्मीर के लोग टास्क फोर्स ने नहीं डरते, उनको पुलिस का भी डर नहीं है, वे लोग आर्मी से भी नहीं डरते। महबूबा ने कहा कि इस वजह से ही पत्थरबाजी नहीं रुक रही और बंदूकों का भी इस्तेमाल हो रहा है। महबूबा ने इसे अपने आप में दूसरे तरीके का चैलेंज बताया। महबूबा ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आगे कहा कि उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद भी चाहते थे कि कश्मीर को कैद में बंद करके ना रखा जाए। महबूबा ने कारगील-अस्कआरडू, जम्मू-सियालकोट और लेह-जिंगजान के रास्तों को खोल देने की भी बात कही।
महबूबा ने कहा कि कश्मीर को फिर से खुशहाल करना है तो सभी पार्टियों को एकसाथ आगे आना होगा। इसमें उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, बीजेपी, कम्यूनिस्ट समेत बाकी सभी पार्टियों का नाम लिया। महबूबा ने कहा कि वहां जो वर्दीवाला या फिर सड़क से जाने वाला मारा जा रहा है वह कश्मीरी ही है। महबूबा ने कहा कि बाघा बॉर्डर के रास्ते चरस और गांजा भारत आता है लेकिन कश्मीर पर पाबंदी ज्यादा हैं जो कि गलत हैं।
इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी थी कि अगर जम्मू कश्मीर के लोगों को मिले विशेषाधिकारों में किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य में तिरंगा को थामने वाला कोई नहीं रहेगा। इस बयान पर काफी विवाद हो रहा है।
