पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय में एक हफ्ते से ज्यादा समय से पूर्वी जैंतिया हिल्स इलाके की कोयला खदान में 15 मजदूर फंसे है। जिन्हें बाहर निकालने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) की टीम लगातार कोशिश कर रही है। लेकिन एनडीआरएफ की टीम के एक अधिकारी ने बुधवार को पहली बार खदान के अंदर से दुर्गंध आने का अंदेशा जताया है और साथ ही कहा कि यह अच्छे संकेत नहीं है। हालांकि उन्होंने इस पर आगे टिप्पणी करने से मना कर दिया। लेकिन इस बीच लोगों में चर्चा होने लगी है कि अंदर फंसे मजदूर मर चुके है जिनकी लाशें भी अब सड़ने लगी है। फिलहाल बचाव कार्य जारी है।
बता दें कि मेघालय के जैंतिया हिल्स ज़िले के लुमथरी गांव के 20 मजदूर 13 दिसंबर को करीब 370 फुट गहरी कोयला खदान में उतरे थे। खदान में घुसने का रास्ता बहुत ही सकरा था जिसमें एक बार में एक ही आदमी नीचे उतर सकता था। बताया जा रहा है कि अंदर खदान में पहुंचने पर खुदाई करते वक़्त मजदूरों में से एक ने गलती से सुरंग की दीवार तोड़ दी थी। जिससे पास में बह रही लाइटिन नदी का पानी खदान में भरने लगा और खदान के अंदर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ के बीच 5 मजदूर तो निकल गए, लेकिन 15 मजदूर उसी में फंसे रह गए। इन मजदूरों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की 70 लोगों की टीम जुटी हुई है। जबकि राज्य आपदा प्रबंधन बल (एसडीआरएफ) के 22 जवान भी जुटे हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम के अधिकारी के एक अधिकारी ने बताया कि खदान में 70 फीट पानी भरा था जबकि उनके गोताखोर अधिकतम 40 फीट तक ही जा सकते हैं। इसलिए पिछले 3 दिनों से पानी निकालने के लिए 100 हॉर्सपावर के पंप का इंतजार कर रहे थे। फिलहाल अभी भी खदान में पानी का स्तर कम नहीं हुआ है। पानी को बाहर निकलने के लिए दो 25-एचपी के पंप प्रभावी साबित नहीं हो रहें हैं। पिछले 14 दिनों में बचाव अधिकारीयों के अनुसार उन्हें केवल तीन हेलमेट बरामद हुए हैं। उनका कहना है कि फंसे मजदूरों की स्थिति का अभी सही सुराग नहीं लग पाया हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का कहना है कि यह बेहद मुश्किल और जटिल स्थिति है। एनडीआरएफ की टीम उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन और एनडीआरएफ ने फंसे मजदूरों का पता लगाने की बहुत मेहनत की है, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें सफलता नहीं मिली है। एनडीआरएफ के अधिकारी ने बताया कि पहले भी खदान में फंसे मज़दूरों के दो-दो महीनों तक बचे रहने की घटनाएं हुई हैं। लेकिन ये अवैध खदान है, जिसमें सुरक्षा मानक फॉलो नहीं किये होंगे। ऐसे में मज़दूरों की हालत क्या होगी, ये बता पाना मुश्किल है।