असम में नेशनल सिटिजंस रजिस्टर (Assam NRC) लागू किए जाने के बाद अब पड़ोसी राज्य मेघालय में भी पहले से मौजूद ऐसे ही कानून MRSS (मेघालय निवासी सुरक्षा एवं रक्षा) को और सख्त बनाने की कवायद शुरू हो गई है। राज्य के डिप्टी सीएम (Deputy CM of Meghalaya) प्रेस्टोन तिन्सांग ने रविवार (22 सितंबर) को इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।
‘सभी राजनीतिक दलों से होगा विचार-विमर्श’: तिन्सांग ने कहा, ‘MRSS Act 2016 में प्रस्तावित संशोधन के लिए राज्य सरकार जल्दी ही सभी राजनीतिक दलों के साथ मशविरा करेगी, यदि सभी सहमत होते हैं तो उसे अध्यादेश के रूप में पारित किया जाएगा।’ पीटीआई से बातचीत में तिन्सांग ने बताया, ‘हम जल्दी ही सभी राजनीतिक दलों और विधायकों के साथ विमर्श करके इस पर उनके विचार और सिफारिशों को जानेंगे।’
विचार-विमर्श के बाद ली जाएगी कैबिनेट की मंजूरीः प्रेस्टोन ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन पर विचार- विमर्श खत्म होने के बाद उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने सूचित किया कि प्रस्तावित संशोधन को अध्यादेश के रूप में पारित किया जा सकता है। गौरतलब है कि हाल ही में असम एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई थी, जिसके तहत करीब 19 लाख लोगों का नाम नागरिकता रजिस्टर में नहीं था। लिस्ट से बाहर हुए लोगों के सामने अपनी नागरिकता साबित करने की चुनौती है, इनमें कई पुलिस अधिकारी, सेना से जुड़े और सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। असम में एनआरसी को लेकर लंबे समय से बवाल मचा हुआ है।
क्या है एमआरएसएसः रिपोर्ट के मुताबिक प्रो-इनर लाइन परमिट (आईएलपी) समूहों के अंतर्गत मेघालय के सामाजिक संगठनों ने सरकार को एमआरएसएस एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इस बिल का मकसद राज्य में अवैध रूप से बाहरी लोगों की घुसपैठ को रोकना है, यह भी एनआरसी की तरह ही राज्य के मूल निवासियों की पहचान करता है।