मुंबई में मीरा रोड (Meera Road Mumbai) स्थित सना मस्जिद में गैर-मुस्लिमों को बुलाया गया और उनकी गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की गई। करीब दो दर्जन लोग इसमें शरीक हुए। टीओआई के मुताबिक वहां से निकले एक शख्स ने कहा, ‘मुझे आज पता चला कि यहां कोई भी आ सकता है। मुझे बड़ा अच्छा लगा। यहां किसी को वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता, जो पहले आता है वह आगे लग जाता है, बाद में आने वाला चाहे कितना भी अमीर हो वह पीछे लग जाता है।’

जमात-ए-इस्लामी ने कराया आयोजनः ‘मस्जिद परिचय’ नाम की यह पहल जमात-ए-इस्लामी (हिंद) नाम की एक संस्था ने की। इसका मकसद गैर-मुस्लिमों का इस्लाम से परिचय करवाना है। रविवार (6 अक्टूबर) को हुआ यह कार्यक्रम संगठन की स्टूडेंट यूनिट के साथ मिलकर मिल्लत वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से किया गया था।

‘जन्म से मौत तक मस्जिद के इर्द-गिर्द होती है जिंदगी’: डॉक्टर परवेज मांडवीवाला ने कहा, ‘एक मुस्लिम व्यक्ति की जिंदगी जन्म से मौत तक मस्जिद के इर्द-गिर्द होती है। इसलिए जिस वक्त कोई इमाम नवजात के कान में अजान सुना रहा होता है, उसी वक्त किसी के लिए नमाज-ए-जनाजा भी पढ़ी जाती है। मस्जिद में हमेशा शव को स्नान कराने वाला एक तख्त रखा होता है।’ उन्होंने कहा कि इस्लाम का पहला अर्थ शांति है और दूसरा अर्थ समर्पण है। इसलिए किसी को भी ईश्वर के पास जाने से पहले शुद्धिकरण कराया जाता है, ताकि साफ तन-मन के साथ कोई ईश्वर के पास जाए।

National Hindi News, 9 October 2019 Top Headlines Updates: देश-दुनिया की तमाम अहम खबरें सिर्फ एक क्लिक पर

कई बार हुए ऐसे कार्यक्रमः पिछले कुछ महीनों में जमात-ए-इस्लामी ने गलतफहमियों और इस्लाम के प्रति डर के भावों को दूर करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम कई बार किए गए। कार्यक्रम में शरीक हुए आशीष पांडेय नाम के एक शख्स ने मीडिया को बताया कि यहां आकर सबसे महत्वपूर्ण बात यह पता चली कि मस्जिद बेहद शांत और शांति का संदेश देने वाली जगह है। यहां से जाते वक्त लोगों को कुरान की एक प्रति और पैगंबर की सीख देने वाली हदीस दी गईं।