पुरातत्व विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड को पत्र लिखकर पूछा है कि DJB के सीईओ के आधिकारिक बंगले के लिए स्मारक को क्यों तोड़ा गया? दरअसल, जनवरी 2021 में दिल्ली जल बोर्ड के परिसर में 15वीं शताब्दी के एक स्मारक का दौरा करने के बाद, पुरातत्व विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड को पत्र लिखकर उसे स्मारक का संरक्षण देने की मांग की थी। वहीं, जनवरी 2023 में जब विभाग साइट पर आया तो पुरातत्व विभाग ने पाया कि स्मारक गायब हो गया था। तत्कालीन डीजेबी सीईओ के आधिकारिक बंगले के लिए रास्ता बनाने के लिए इसे तोड़ दिया गया था।
स्मारक के स्थान पर बनाया DJB के सीईओ का सरकारी आवास
बुधवार को विजिलेंस डिपार्टमेंट ने 2007 बैच के आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय को स्मारक को ध्वस्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया। यह स्मारक एक पठान काल का महल था जो 1418 में सैय्यद वंश के दिल्ली पर शासन के दौरान बनाया गया था। पर अब इसके स्थान पर डीजेबी के तत्कालीन सीईओ का नया सरकारी आवास बना दिया गया है।
जो स्मारक गायब हो गया उसका केवल एक प्रवेश द्वार अभी भी खड़ा है। यह लाजपत नगर के पास दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जल विहार में है। विजिलेंस डिपार्टमेंट के कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि स्मारक दिल्ली जल बोर्ड के नियंत्रण में था और उसी परिसर में कुछ छोटे आवासीय क्वार्टर बने हुए हैं। वहीं, नए घर का एरिया 700 वर्गमीटर है, जो कारण बताओ नोटिस के अनुसार टाइप VIII क्वार्टर के 403 वर्गमीटर के निर्धारित क्षेत्र से भी लगभग 300 वर्गमीटर अधिक है।
प्रोजेक्ट पर खर्च किए 4 करोड़
पूरी जमीन जहां घर का निर्माण किया गया है, लगभग 5500 वर्गमीटर है। नोटिस के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। पुरातत्व विभाग जिसे स्थानीय महत्व के प्राचीन स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार है, ने दिसंबर 2020 में साइट का दौरा किया था। जनवरी 2021 में विभाग ने संरक्षण के लिए डीजेबी को स्मारक का कब्जा उन्हें सौंपने के लिए पत्र लिखा।
पुरातत्व विभाग और डीजेबी के अधिकारियों द्वारा जनवरी 2023 में एक संयुक्त निरीक्षण किया गया था और एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि दिसंबर 2020 में विभाग के अधिकारियों को दो संरचनाएं मिलीं थीं जिनमें से एक प्रवेश द्वार और दूसरी उक्त महल की एक मुख्य इमारत थी। हालांकि, जनवरी 2023 की यात्रा के दौरान निरीक्षण दल ने पाया कि साइट पर केवल एक संरचना यानी प्रवेश द्वार मौजूद था।
विजिलेंस डिपार्टमेंट ने भेजा दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस
विजिलेंस डिपार्टमेंट ने अपने नोटिस में कहा, “डीजेबी के सीईओ उदित प्रकाश राय के निर्देश पर डीजेबी के इंजीनियरों की मदद से पठान काल के महल को कथित तौर पर गिराया गया।” नोटिस में यह भी कहा गया है कि पूरी संरचना को ध्वस्त करने के लिए राय जिम्मेदार थे और वह इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ थे कि एक ऐतिहासिक स्मारक मौजूद है।
सीईओ राय की पत्नी ने खारिज किए आरोप
वहीं, इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत के दौरान सीईओ राय की पत्नी ने कहा, ”ये केवल आरोप हैं। यहां डीजेबी के पुराने क्वार्टर थे, जिनका रिनोवेशन किया गया है। यह हमारा निजी घर नहीं है। अगर हम चले गए तो ढांचा वापस नहीं आएगा। हम मुद्दे के खिलाफ लड़ रहे हैं। स्मारक सीमा के अंदर नहीं था। सीमा के दूसरी ओर एक स्मारक अभी भी मौजूद है। हमने जंगली जानवरों और चोरों को बाहर रखने के लिए सीमा के साथ शटरिंग लगा दी है।”
(Story by Gayathri Mani)
